इलाहाबाद से कांग्रेस सांसद उज्जवल रमण सिंह ने संसद में गाय को राष्ट्र माता या राज्य माता का दर्जा देने की मांग उठाई है। राजनीतिक गलियारों में उनके इस कदम को आगामी विधानसभा चुनाव से जोड़कर देखा जा रहा है। एक चर्चा यह भी है कि चुनाव में हिंदू वोट बैंक पर पकड़ बनाने के लिए कांग्रेस सांसद भाजपा-विहिप की पिच पर बैटिंग के लिए उतर गए हैं। इस मांग ने सियासी गलियारों में नई बहस छेड़ दी है। आमतौर पर कांग्रेस को ‘सॉफ्ट हिंदुत्व’ की राह पकड़ने के लिए अक्सर भाजपा और विहिप के निशाने पर रहना पड़ता है> लेकिन इस बार कांग्रेस के ही सांसद ने वह मुद्दा उठा दिया है, जिसे भाजपा और विहिप लंबे समय से राजनीतिक विमर्श के केंद्र में रखे हुए हैं। पहले पढ़िए, संसद में क्या बोले
सांसद उज्जवल रमण सिंह ने कहा- गाय को गोमाता के रूप में जाना जाता है और यह राष्ट्रीय पहचान व गौरव का प्रतीक है। आज भारत में जो देशी नस्ल की गायें हैं, उनकी संख्या तेजी से घट रही है और तेज गति से विलुप्त होती जा रही हैं। देशी गाय की गरिमा, सम्मान, सुरक्षा व संरक्षण सुनिश्चित किए जाने की अति आवश्यकता है। इसके साथ ही गाय, बछड़ा बैल, के वध पर प्रतिबंध, वध के लिए गाय के परिवहन और निर्यात पर प्रतिबंध और गाय को किसी अन्य तरीके से बिक्री, खरीद निपटान पर प्रतिबंध, गाय के मांस को अपने कब्जे में रखने पर भी प्रतिबंध और शुद्ध देशी नस्ल की गायों को संरक्षण दिए जाने की आवश्यक्ता है। गायों को राष्ट्र माता या राज्य माता का दर्जा दिया जाना चाहिए।’ चुनावी मौसम और राजनीतिक संदेश
सीनियर जर्नलिस्ट और राजनीतिक विश्लेषक पवन द्विवेदी का मानना है कि यह कदम सीधे-सीधे आगामी विधानसभा चुनावों से जुड़ा है। प्रयागराज समेत पूर्वांचल में हिंदू मतदाताओं की बड़ी संख्या को देखते हुए कांग्रेस सांसद का यह बयान भाजपा-विहिप की परंपरागत पिच पर जाकर “हिंदू भावनाओं को संबोधित करने” की रणनीति के रूप में देखा जा रहा है। कांग्रेस लंबे समय से उत्तर प्रदेश में राजनीतिक जमीन तलाश रही है। ऐसे में पार्टी के सांसद का यह रुख यह संकेत देता है कि वह भाजपा के मजबूत मुद्दों को भी अपने तरीके से साधने की कोशिश कर रही है। भाजपा-विहिप का प्रभाव क्षेत्र और कांग्रेस की चुनौती
गाय भाजपा और विहिप की राजनीति का एक प्रमुख भावनात्मक आधार रहा है। इनके जनाधार में इसका बड़ा असर माना जाता है। सांसद उज्जवल रमण का यह बयान इस वजह से भी चर्चा में है कि कांग्रेस अक्सर भाजपा पर धर्म आधारित राजनीति का आरोप लगाती रही है। ऐसे में पार्टी के सांसद द्वारा वही मुद्दा उठाना राजनीतिक रूप से असमंजस और नई रणनीति दोनों के रूप में देखा जा रहा है। राजनीतिक गलियारों में चर्चा अब यह सवाल उठ रहा है कि क्या सांसद का बयान कांग्रेस की नई रणनीति का संकेत है या यह स्थानीय राजनीतिक समीकरणों को साधने का प्रयास। प्रयागराज में जहां भाजपा मजबूत स्थिति में है, वहां हिंदू वोटों में सेंध लगाने के लिए कांग्रेस नेता का ऐसा रुख एक ‘राजनीतिक प्रयोग’ माना जा रहा है। भाजपा ने बताया चुनावी स्टंट भाजपा और विहिप इस मुद्दे को वर्षों से राष्ट्रीय गौरव का प्रश्न बनाकर पेश करते रहे हैं। कांग्रेस सांसद द्वारा उसी सुर में बात करने को भाजपा नेता महज चुनावी स्टंट बता रहे हैं। भाजपा के वरिष्ठ नेता आशीष गुप्ता कहते हैं, कांग्रेस व सपा लगातार चुनाव हार रहे हैं और इनकी राजनीति रसातल में है। यही कारण है कि अब उन्हें लगने लगा है कि अब हिंदुत्व के एजेंडे पर बात करके हिंदू वोटरों को साधा जाए। लेकिन जनता सब जानती है कि यह सिर्फ दिखावा है। भाजपा को सिर्फ चुनाव में आती है गोमाता की याद कांग्रेस प्रवक्ता किशोर वार्ष्णेय का कहना है कि भाजपा गाय का इस्तेमाल चुनाव के लिए करती है। गाय हमारे सम्मान, गरिमा का प्रतीक है और इसे राष्ट्रमाता का दर्जा पहले ही दिया जाना चाहिए था। इसमें जो अविलंब हुआ है, यह निराशाजनक है। हम लोग किसी भी मुद्दे को चुनाव की दृष्टि से नहीं देखते। गाय के संरक्षण को लेकर अगर भाजपा सरकारों ने वास्तव में कुछ किया होता तो आज जो जगह-जगह गोमाता की दुर्दशा देखने को मिलती है, वह नहीं होता। अब अगर कांग्रेस इस मुद्दे को उठा रही है तो भाजपा वालों को तकलीफ हो रही है।
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