अखिल भारतीय विद्यार्थी परिषद (अभाविप) द्वारा भगवान बिरसा मुंडा की 150वीं जयंती पर शुरू की गई ‘भगवान बिरसा संदेश यात्रा’ का लखनऊ में जोरदार स्वागत हुआ। यह यात्रा लखनऊ विश्वविद्यालय पहुंची, जहां भगवान बिरसा मुंडा की प्रतिमा पर माल्यार्पण किया गया। इसके बाद यात्रा को सीतापुर के लिए रवाना किया गया। सीतापुर रोड स्थित सेंट जोसेफ कॉलेज में एक संगोष्ठी का आयोजन किया गया। इसमें अभाविप के राष्ट्रीय अध्यक्ष प्रो. राज शरण शाही मुख्य अतिथि के रूप में उपस्थित रहे। विशिष्ट अतिथियों में आरएसएस पूर्वी उत्तर प्रदेश के क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष, अभाविप संगठन मंत्री अंशुल विद्यार्थी, कॉलेज के चेयरमैन डॉ. अनिल अग्रवाल और जोगिंदर सिंह गौतम शामिल थे। यात्रा के प्रांत संयोजक एवं राष्ट्रीय सह-संगठन मंत्री गोविंद नायक भी इस अवसर पर मौजूद रहे। बिरसा मुंडा के संघर्ष जनजातीय गौरव का संदेश यह संदेश यात्रा उलिहातु, खूंटी, चक्रधरपुर, चाईबासा, रांची, जमशेदपुर, गुमला, गढ़वा, वाराणसी, रायबरेली, लखनऊ, सीतापुर, बरेली, मुरादाबाद और सहारनपुर से होते हुए आगे बढ़ रही है। इसका समापन 27 नवंबर को देहरादून के परेड ग्राउंड में आयोजित अभाविप के 71वें राष्ट्रीय अधिवेशन में होगा। यात्रा के दौरान संगोष्ठियों, नुक्कड़ नाटकों, प्रदर्शनियों और जनजागरण कार्यक्रमों के माध्यम से बिरसा मुंडा के संघर्ष और जनजातीय गौरव का संदेश दिया जा रहा है। भगवान बिरसा मुंडा स्वतंत्रता संग्राम के प्रतीक संगोष्ठी में अपने संबोधन में प्रो. राज शरण शाही ने बिरसा मुंडा को ‘धरती आबा’ बताते हुए उन्हें आदिवासी अधिकारों और स्वतंत्रता संग्राम का प्रतीक बताया। आरएसएस के क्षेत्र प्रचार प्रमुख सुभाष ने कहा कि बिरसा मुंडा ने मिशनरियों द्वारा आदिवासी संस्कृति पर हो रहे प्रहार के खिलाफ आवाज उठाई थी।डॉ. अनिल अग्रवाल ने जानकारी दी कि बिरसा मुंडा ने 1899-1900 में ‘उलगुलान’ (महान विद्रोह) का नेतृत्व कर ब्रिटिश शासन की भूमि-हड़प नीति को चुनौती दी थी। अभाविप अवध प्रांत के मंत्री पुष्पेंद्र वाजपेई ने विश्वास व्यक्त किया कि यह यात्रा विभिन्न राज्यों से होते हुए देहरादून अधिवेशन में इतिहास रचेगी।
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