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बलरामपुर में सेखुईकला चौराहे पर सुरक्षा इंतजामों की कमी:बाईपास पर कई कट बने खतरा, रात में बढ़ता है हादसों का जोखिम

बलरामपुर में फुलवरिया बाईपास पर ओवरब्रिज शुरू होने के बावजूद सुरक्षा इंतजामों में लापरवाही सामने आई है। यह बाईपास बहराइच, उतरौला और गोंडा मार्गों को जोड़ता है, जहां दिन-रात भारी और हल्के वाहनों की आवाजाही बनी रहती है। सेखुईकला चौराहे पर दिन में कुछ समय के लिए ट्रैफिक कर्मी तैनात रहते हैं, लेकिन देर रात यातायात नियंत्रण पूरी तरह से भगवान भरोसे रहता है। इससे तेज रफ्तार वाहनों के कारण दुर्घटनाओं का जोखिम बढ़ जाता है। इसका एक उदाहरण बीते सोमवार रात को देखने को मिला, जब एक कंटेनर की टक्कर से नेपाली यात्रियों से भरी बस पलट गई। इस हादसे में बस और कंटेनर दोनों में आग लग गई, जिसमें तीन लोगों की मौत हो गई और 24 यात्री घायल हुए। फुलवरिया बाईपास चौराहे पर दुर्घटना के बाद कुछ सुरक्षा उपाय शुरू किए गए हैं, लेकिन बहराइच मार्ग पर स्थित सेखुईकला तिराहे पर अभी भी कोई स्थायी व्यवस्था नहीं है। नगर से बाहर जाने वाले वाहन फुलवरिया की ओर से आने वाली गाड़ियों को ठीक से देख नहीं पाते, जिससे छोटी सी चूक भी बड़े हादसे का कारण बन सकती है। यह मार्ग कलेक्ट्रेट, एसपी कार्यालय, विकास भवन और जिला न्यायालय जाने के लिए भी इस्तेमाल होता है, जिससे यहां यातायात का दबाव काफी अधिक रहता है। सेखुईकला तिराहे से फुलवरिया चौराहे तक लगभग नौ किलोमीटर लंबे बाईपास पर कई जगह कट बने हुए हैं। इनमें कलेक्ट्रेट, सुहागिनपुरवा, अचलापुर गांव, सपा कार्यालय-कॉलोनी, कोयलरा गांव, रेलवे स्टेशन भगवतीगंज और मां पाटेश्वरी विश्वविद्यालय की ओर जाने वाले कट शामिल हैं। बाईपास ऊंचा होने और इन जुड़ने वाली सड़कों के नीचे होने के कारण वाहन चालकों के लिए खतरा बढ़ जाता है। इन स्थानों पर स्पष्ट संकेतक और रंबल स्ट्रिप लगाने की आवश्यकता है। यातायात प्रभारी उमेश सिंह यादव ने बताया कि फुलवरिया बाईपास चौराहे को सुरक्षित बनाने की प्रक्रिया शुरू हो गई है। उन्होंने कहा कि सेखुईकला तिराहे पर फिलहाल ट्रैफिक कर्मियों की ड्यूटी रहती है, लेकिन यहां एक स्थायी नियंत्रण बूथ की सख्त आवश्यकता है।


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