चुनाव आयोग द्वारा लागू की गई SIR (Systematic Information Revision) प्रक्रिया को लेकर देशभर में बीएलओ (बूथ लेवल ऑफिसर) की मौतों पर सवाल उठने लगे हैं। इसी बीच बरेली में बीएलओ सर्वेश गंगवार की ड्यूटी के दौरान हुई मौत ने इस मुद्दे पर बहस को और तेज़ कर दिया है। इस मामले को लेकर कांग्रेस पार्टी के पदाधिकारियों ने सिटी मजिस्ट्रेट को राष्ट्रपति के नाम संबोधित ज्ञापन सौंपा और SIR प्रक्रिया पर दोबारा विचार करने की मांग की। कांग्रेस पदाधिकारियों का आरोप है कि चुनाव आयोग ने SIR प्रक्रिया जल्दबाजी में लागू की है, जिसके चलते बीएलओ पर काम का अत्यधिक दबाव बढ़ गया है। मतदाताओं को पुरानी सूचियों में अपना नाम ढूंढ़ने में दिक्कतें आ रही हैं, वहीं कर्मचारियों में तनाव और अवसाद जैसी स्थितियां पैदा हो रही हैं। ज्ञापन में कांग्रेस ने उल्लेख किया कि SIR प्रक्रिया में नई तकनीक या डिजिटल सर्च सिस्टम लागू नहीं किया गया है। इसके कारण लोगों को 22 साल पुरानी स्कैन की गई मतदाता सूचियों में हजारों पन्नों के बीच खुद अपना नाम ढूंढना पड़ रहा है। नेताओं ने कहा कि भारत, जो दुनिया के लिए उन्नत डिजिटल तकनीक बनाता है, वहीं चुनाव आयोग ने मतदाता सुधार प्रक्रिया को कागजी प्रणाली में उलझा दिया है। कांग्रेस के प्रदेश प्रवक्ता केवी त्रिपाठी ने बताया कि देश के कई राज्यों में बीएलओ की मौतें सामने आ चुकी हैं। इनमें बरेली में शिक्षक एवं बीएलओ की ड्यूटी के दौरान हुई मौत, लखनऊ में बीएलओ विजय कुमार वर्मा की मृत्यु और पश्चिम बंगाल के बीएलओ रिंकू तरफदार की आत्महत्या शामिल हैं। कांग्रेस का कहना है कि ये केवल आंकड़े नहीं, बल्कि प्रशासनिक दबाव का परिणाम हैं। बरेली में सर्वेश गंगवार की मौत पर कांग्रेस ने मांग की है कि मृतक के दो छोटे बच्चों के नाम एक करोड़ रुपए की एफडी कराई जाए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी दी जाए, ताकि उनका भविष्य सुरक्षित रहे। कांग्रेस ने चेतावनी दी है कि यदि ये मांगें पूरी नहीं की गईं तो पार्टी धरना-प्रदर्शन करेगी।
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