प्रयागराज जिसने देश और दुनिया के लाखों करोड़ों लोगों को पुण्य की डुबकी लगवाकर भारत की सनातन संस्कृति को नई ऊंचाइयां दी। अब वही संगम नगरी ऊर्जा के क्षेत्र में नया इतिहास लिख चुका है। जहां कचरे से बनी गैस से आपकी गाड़ियां फर्राटा भर रही है, घरो को रसोई तैयार करने को पीएनजी और तो और अन्नदाता के खेतों को जैविक खाद देने की तैयारी की जा रही है। अब आपको ऊर्जा की नई इबादत लिखने वाले सीएनजी प्लान में लेकर चलते हैं। जो आपके घर से निकलने वाला वेस्ट कैसे ऊर्जा में बदलता है इसकी पूरी कहानी आपको वीडियो में दिखते हैं। यह प्लांट अपने आप में अनूठा है, क्योंकि यह शहर से रोजाना निकलने वाले गीले कचरे को रिसाइकल कर उससे CNG और PNG गैस तैयार करता है। यानी वह कचरा, जिसे लोग अक्सर बेकार समझकर फेंक देते हैं, अब ऊर्जा का नया स्रोत बन चुका है। यह प्लांट पर्यावरण-सुरक्षा, स्वच्छता और सतत ऊर्जा—तीनों मोर्चों पर एक साथ काम कर रहा है। कैसे तैयार होती है बायो-CNG? प्लांट की तकनीक और प्रोसेस को समझाते हुए प्रोजेक्ट हेड हिमांशु श्रीवास्तव बताते हैं कि यह बायो-CNG प्लांट शहर के गीले कचरे से गैस बनाता है। सबसे जरूरी हिस्सा कचरे का प्रोसेस है। इसे ऐनारोबिक डाइजेशन के जरिए गैस में बदला जाता है। उसके बाद गैस को BPS सिस्टम के माध्यम से प्योर कर मार्केट में सप्लाई किया जाता है। प्लांट फिलहाल अपने पहले फेज में काम कर रहा है। इसकी कुल क्षमता 200 टन गीले कचरे को प्रतिदिन प्रोसेस करने की है। वर्तमान में यहां रोज़ 110 टन कचरा पहुंच रहा है, जिसे केवल 7 से 8 घंटे में प्रोसेस कर CNG में बदल दिया जाता है। नगर निगम को बड़ा आर्थिक लाभ यह प्लांट प्रयागराज नगर निगम के लिए भी बड़ी राहत लेकर आया है। प्लांट हर साल नगर निगम को 56 लाख रुपए की रॉयल्टी देता है। इसके अलावा, नगर निगम को कचरे का अलग से निपटान और प्रोसेसिंग नहीं करनी पड़ती, जिससे लगभग 5 करोड़ रुपए सालाना की बचत होती है। यानी शहर को एक साथ दो फायदे—कचरा निपटान का बोझ कम और आर्थिक बचत। शहर की गाड़ियों के लिए ईको-फ्रेंडली फ्यूल फिलहाल यह प्लांट प्रतिदिन 3 से 4 टन बायो-CNG का उत्पादन कर रहा है। यह गैस ‘सतत स्कीम’ के तहत इंडियन ऑयल–अडानी गैस को बेची जा रही है। वहीं से इस गैस को शहर के CNG फिलिंग स्टेशनों तक पहुंचाया जाता है। हिमांशु बताते हैं कि अभी हमारी क्षमता 600 गाड़ियों को CNG देने की है। जब प्लांट पूरी क्षमता पर काम करेगा, तब 3500 कारों और 45,000 घरों को PNG के रूप में गैस उपलब्ध कराई जाएगी। इसका मतलब है कि आने वाले समय में प्रयागराज गैस सप्लाई के मामले में लगभग आत्मनिर्भर होने की दिशा में बढ़ रहा है। किसानों के लिए जैविक खाद—दोगुना फायदा इस प्लांट का दूसरा फेज किसानों के लिए किसी सौगात से कम नहीं। प्लांट में गैस बनने के बाद बचने वाला अवशेष FOM (Fermented Organic Manure) के रूप में तैयार किया जाएगा, जो उच्च गुणवत्ता वाली जैविक खाद है। फिलहाल इसकी क्षमता 55 टन प्रतिदिन है, और अगले 15 दिनों में इसका उत्पादन शुरू होने जा रहा है। यह खाद 100 हेक्टेयर जमीन की मिट्टी की गुणवत्ता सुधारने में सक्षम है। खाद किसानों को सीधे देने की योजना है, साथ ही NFL (नेशनल फर्टिलाइज़र्स लिमिटेड) से बातचीत भी चल रही है ताकि भविष्य में इसकी बड़े पैमाने पर सप्लाई की जा सके। कार्बन उत्सर्जन में भारी कमी इस प्लांट का सबसे बड़ा योगदान पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में है। पूरी क्षमता से काम करने पर यह प्लांट हर साल 56,000 मिट्रिक टन CO₂ उत्सर्जन कम करेगा। यह प्रयागराज की हवा को साफ करने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम है। शहर में बढ़ते प्रदूषण के बीच यह प्लांट भविष्य के लिए एक बड़ी उम्मीद है। नागरिकों से अपील—अपना कचरा जिम्मेदारी से दें प्रोजेक्ट हेड हिमांशु श्रीवास्तव नागरिकों से खास अपील करते हैं कि अगर आप प्रयागराज में रहते हैं और अपने घर का गीला कचरा इधर-उधर फेंकते हैं, तो ऐसा न करें। यही कचरा आपके लिए CNG और PNG बनकर वापस आता है। आपकी जिम्मेदारी है कि इसे ठीक तरह से अलग करके दें, ताकि हम शहर को ऊर्जा भी दे सकें और साफ भी रख सकें। शहर की नई पहचान—कचरे से ऊर्जा प्रयागराज का यह बायो-CNG प्लांट सिर्फ एक तकनीकी प्रोजेक्ट नहीं है, बल्कि यह शहर की सोच और नागरिक भागीदारी का उदाहरण है। कचरा—जिसे अब तक बोझ समझा जाता था—आज शहर की ऊर्जा बन रहा है। यह बदलाव सिर्फ टेक्नोलॉजी की बदौलत नहीं, बल्कि प्रयागराज के लोगों की जिम्मेदारी और दूरदर्शिता का परिणाम है। प्रयागराज अब हरित ऊर्जा के मानचित्र पर चमकता हुआ शहर है, और यह प्लांट उसकी नई ऊर्जा, नई दिशा और नए भविष्य का प्रतीक बन चुका है।
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