प्रयागराज मंडल के सबसे बड़े अस्पताल में करंट से झुलसे 5 वर्षीय बच्चे की मौत ने हेल्थ सिस्टम पर एक बार फिर सवाल खड़े कर दिए हैं। परिवार का आरोप है कि उनका बच्चा 6 दिन से इलाज के दौरान ठीक हो गया था, लेकिन शनिवार सुबह अस्पताल के डॉक्टर ने सुई लगाई और 5 मिनट में बच्चे की मौत हो गई। लाश न मिलने का आरोप लगाते हुए परिजनों ने सिविल लाइंस के महात्मा गांधी मार्ग को जाम कर दिया, जिससे आम राहगीरों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ा। पुलिस ने प्रदर्शन कर रहे लोगों को सड़क से हटाकर ट्रैफिक चालू कराया। “बच्चा हमारा मर गया तो महिलाएं रोने लगीं। डॉक्टर ने कहा—इस तरह अस्पताल में 150 लोग मरते हैं, भगाओ इनको। इसके बाद दो डॉक्टरों ने बच्चे की लाश नहीं दी, उल्टे मुझे, मेरे भाई और महिलाओं को मारना-पीटना शुरू कर दिया।” यह कहना है 5 साल के वंश के मामा अभिमन्यु कुमार का, जिसकी शनिवार सुबह एसआरएन अस्पताल में इलाज के दौरान मौत हो गई थी। डॉक्टर से मौत की जानकारी मिलते ही परिवार का गुस्सा फूट पड़ा। महिलाओं ने हंगामा कर डॉक्टरों पर गलत इलाज का आरोप लगाया। परिवार को शांत कराने की कोशिश में डॉक्टर व परिजनों के बीच हाथापाई हो गई। अभिमन्यु का आरोप है कि अस्पताल के दो डॉक्टरों ने उनसे मारपीट कर कपड़े फाड़ दिए। महिलाओं को धक्का देकर गिराया और पैरों से मारा। अब सिलसिलेवार तरीके से पढ़िये पूरा घटना क्रम… तारीख : 30 नवंबर समय : दोपहर करीब 2 बजे स्थान : जठिया भगवानपुर, सराय अकिल, कौशांबी प्रयागराज के तड़हड़ अमिलिया लालापुर के रहने वाले संदीप कुमार की शादी 7 साल पहले कौशांबी जिले के सराय अकिल क्षेत्र के जठिया भगवानपुर गांव की वंदना से हुई थी। शादी के बाद पहले बेटे वंश (5) के जन्म के बाद संदीप अपनी ससुराल में ही रहने लगा। संदीप परिवार का गुजर-बसर करने के लिए लोडर गाड़ियां चलाता था। दंपती का एक छोटा बेटा शिवाय भी है। वंश सराय अकिल के एक कॉन्वेंट स्कूल में एलकेजी का छात्र था। दादा सीपी सरोज के मुताबिक, 30 नवंबर को स्कूल से आने के बाद वंश दोपहर में घर की छत पर खेल रहा था। घर के पास से गुजरने वाले हाईटेंशन तार की चपेट में आने से वह झुलस गया। उसके कमर के नीचे का हिस्सा, बायां हाथ और सीना बुरी तरह जल गया था। परिवार उसे उसी शाम प्रयागराज के स्वरूपरानी अस्पताल ले आया, जहां बर्न वार्ड में भर्ती कर इलाज शुरू हुआ। वंश धीरे-धीरे ठीक हो रहा था। वह खाना मांगकर खाता और परिवार से बात भी करता था। तीन दिन पहले डॉक्टर ने 4 यूनिट खून की मांग की थी, जिसमें से 2 यूनिट चढ़ गया था, बाकी 2 यूनिट रखा था। शनिवार सुबह डॉक्टर राउंड पर आए, बच्चे की हालत जांची और उसे ठीक बताया। इसके कुछ देर बाद एक दूसरे डॉक्टर ने आकर बच्चे को सुई लगाई। डॉक्टर के जाते ही वंश की हालत बिगड़ गई। परिजन उसे दिखाने पहुंचे तो डॉक्टर ने बताया कि बच्चे की मौत हो चुकी है। मौत की खबर मिलते ही वंदना और परिवार की महिलाएं चीख-चीखकर रोने लगीं। परिजनों का आरोप है कि अस्पताल के डॉक्टर उन्हें बाहर निकलने को कहने लगे और कुछ देर बाद धक्का-मुक्की कर बाहर कर दिया। मामा अभिमन्यु के अनुसार उन्होंने वंश की लाश देने को कहा तो डॉक्टरों ने उनसे मारपीट शुरू कर दी। महिलाओं को भी धक्का देकर गिरा दिया गया और मारापीटी की गई। लाश न मिलने पर परिजन सिविल लाइंस मेडिकल चौराहा के पास सड़क पर बैठकर प्रदर्शन करने लगे। भीड़ बढ़ी तो सड़क जाम हो गई। परिवार का कहना है—“हम तो अपने बच्चे के लिए न्याय मांग रहे थे।” पुलिस मौके पर पहुंची और परिजनों को हटाकर एसआरएन चौकी ले गई। इसके बाद डॉक्टरों ने वंश का शव पोस्टमार्टम के लिए भेजा। परिवार का आरोप है कि उनके बच्चे की मौत हुई और उन पर ही मारपीट की गई। उन्होंने पुलिस से न्याय की मांग की है। डीसीपी सिटी मनीष शांडिल्य ने कहा— “मेडिकल कॉलेज के पास जाम की सूचना पर कोतवाली पुलिस पहुंची। परिवार को कार्रवाई का आश्वासन देकर शव का पोस्टमार्टम कराया गया है। परिजनों से तहरीर मांगी गई है। तहरीर मिलने के बाद पोस्टमार्टम रिपोर्ट के आधार पर कार्रवाई के लिए कोतवाली पुलिस को निर्देशित किया गया है।” वही, वंश के शव का पोस्ट-मार्टम कार्यवाही पूरी करा ली गई है। जिसमे डाक्टर ने मौत का कारण सेप्टिक शॉक लिखा है।
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