मेरठ के फलवादा कस्बे में स्थित सरकारी अस्पताल पर एक नवजात की लापरवाही से मौत का गंभीर आरोप लगा है। परिजनों का आरोप है कि डिलीवरी के दौरान डॉक्टर और स्टाफ ने नवजात को बिना परिजनों को दिखाए हीटर में अत्यधिक तापमान देकर रख दिया, जिससे बच्चा जल गया और उसकी मौत हो गई। घटना के बाद अस्पताल में कई घंटे तक हंगामा चलता रहा। पीड़िता के परिजनों ने लगाया गंभीर आरोप गर्भवती महिला की नन्द ज्योति ने बताया कि रेखा पत्नी देवेंद्र, निवासी मोहल्ला जोगियान, को 26 नवंबर 2025 दोपहर करीब 2 बजे पेट में तेज दर्द होने पर परिजन फलावदा के सरकारी अस्पताल लेकर पहुंचे। यहां अस्पताल में मौजूद डॉक्टरनी और दो नर्सों ने रेखा की डिलीवरी कराई और बच्चा सुरक्षित पैदा हुआ। लेकिन परिजनों का आरोप है कि महिला डॉक्टर और स्टाफ ने बच्चे को बिना दिखाए तुरंत मशीन में रखा। मशीन का तापमान अत्यधिक बढ़ाकर बच्चे को रखा गया, जिसके कारण उसका शरीर जल गया। स्टाफ ने बच्चे को कपड़े में लपेटकर छिपा लिया। परिजनों द्वारा बार-बार देखने की मांग पर भी बच्चे को नहीं दिखाया गया। विरोध किया तो स्टाफ ने की अभद्रता- ज्योति ज्योति का आरोप है कि जब परिजनों को बच्चे की मौत की जानकारी मिली और उन्होंने सवाल किए, तो डॉक्टर और नर्सों ने उनसे बदसलूकी की, गाली-गलौज की और धमकी भी दी कि यदि वे शोर करेंगे तो उन पर कार्रवाई करा दी जाएगी। यह भी आरोप है कि स्टाफ ने परिजनों से दबाव डालकर जबरन कागजात पर हस्ताक्षर करवाए। ज्योति ने इस घटना की शिकायत मुख्यमंत्री और मुख्य चिकित्सा अधिकारी मेरठ को पत्र भेजकर संबंधित डॉक्टर व अस्पताल स्टाफ पर सख्त कार्रवाई की मांग की है। चिकित्सा अधिकारी बोले धड़कन नहीं थी सरकारी अस्पताल के चिकित्सा अधिकारी डॉ. नितिन शर्मा ने आरोपों को गलत बताया। उनका कहना है कि गर्भवती महिला की स्थिति लगातार खराब हो रही थी। डिलीवरी के दौरान नवजात में धड़कन नहीं थी। नवजात को तुरंत विशेषज्ञ डॉक्टर के पास रेफर किया गया था, जहां उसकी मृत्यु हुई। उन्होंने कहा कि बच्चे की मौत मशीन की गर्मी से होने का आरोप निराधार है।
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