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प. बंगाल में बाबरी निर्माण के विरोध में मौलाना:संभल के उलेमा बोले- ये देश में जहर घोलने की कोशिश, हुमायूं 1992 से कहां सो रहे थे

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद में टीएमसी से निष्कासित विधायक हुमायूं कबीर द्वारा 6 दिसंबर को कथित “बाबरी मस्जिद” की नींव रखने के ऐलान के बाद राष्ट्रीय स्तर पर हलचल मच गई है। इस घोषणा पर राजनीतिक प्रतिक्रियाएं सामने आ रही हैं। संभल जिले के उलेमाओं ने इसे “सियासी स्टंट” करार देते हुए भारत सरकार से कठोर कार्रवाई की मांग की है। संभल के उलेमा कारी वसी अशरफ ने एक बयान जारी कर कहा कि बाबरी मस्जिद 1992 में ढहाई गई थी। उन्होंने सवाल उठाया कि तब से लेकर अब तक हुमायूं कबीर ने मस्जिद निर्माण का कोई प्रयास क्यों नहीं किया। कारी वसी अशरफ ने आरोप लगाया कि कबीर का यह कदम केवल राजनीतिक लाभ के लिए उठाया गया है। उनके अनुसार, मुसलमानों की भावनाओं से खेलना राजनीति का हिस्सा बना दिया गया है, जिससे आम और शिक्षित-अशिक्षित दोनों तरह के लोगों को गुमराह किया जा रहा है। उलेमा ने कहा कि इस प्रकार की घोषणाएं समाज में अनावश्यक तनाव पैदा करती हैं और देश की सांप्रदायिक एकता को नुकसान पहुंचाती हैं। उनके मुताबिक, मस्जिद का निर्माण अल्लाह की इबादत के लिए होता है, न कि राजनीतिक प्रचार के लिए। उन्होंने आरोप लगाया कि हुमायूं कबीर का यह कदम देश के माहौल को खराब कर सकता है और नफरत फैलाने वाली ताकतों को बढ़ावा दे सकता है। कारी वसी अशरफ ने सरकार से मांग की है कि मामले की विस्तृत जांच की जाए और यदि हुमायूं कबीर के खिलाफ आरोप सिद्ध होते हैं तो उन्हें जेल भेजा जाए। फिलहाल, पश्चिम बंगाल और उत्तर प्रदेश दोनों राज्यों में इस मुद्दे पर राजनीतिक बयानबाजी जारी है। स्थानीय प्रशासन स्थिति पर नजर बनाए हुए है, जबकि विभिन्न धार्मिक और सामाजिक संगठनों ने भी ऐसे संवेदनशील मुद्दों पर संयम और शांति बनाए रखने की अपील की है।


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