जमीयत उलेमा-ए-हिंद प्रमुख मौलाना महमूद मदनी के वंदेमातरम पर दिए गए बयान का विरोध बढ़ता जा रहा है। प्रयागराज के मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पूर्वी उत्तर प्रदेश सहसंयोजक फरीद साबरी ने प्रतिक्रिया दी है। उन्होंने कहा- वंदे मातरम् बोलना इस्लाम विरोधी बताकर मुसलमानों पर अपनी सोच थोपने का प्रयास किया जा रहा है, जबकि राष्ट्रवादी मुसलमान ऐसी सीमित सोच नहीं मानते। फरीद साबरी ने कहा कि वंदे मातरम् राष्ट्रप्रेम की तहजीब है। इसे बोलने भर से किसी के ईमान या मजहब पर असर नहीं पड़ता। हम इस मुल्क में पैदा हुए हैं, वतन से मोहब्बत करना हमारा फर्ज है। वंदे मातरम् बोलने से इस्लाम से खारिज होने की बात सरासर गलत है। मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के पूर्वी उत्तर प्रदेश सहसंयोजक से दैनिक भास्कर ऐप टीम ने बातचीत की। पढ़िए रिपोर्ट…. सवाल: मौलाना मदनी ने वंदे मातरम् को लेकर क्या कहा था और आपकी क्या प्रतिक्रिया है?
जवाब: मदनी ने वंदे मातरम् बोलना इस्लाम विरोधी बताकर मुसलमानों पर अपनी सोच थोपने की कोशिश की थी, जो गलत है। राष्ट्रवादी मुसलमान इसे स्वीकार नहीं करते। वंदे मातरम् राष्ट्रप्रेम की तहजीब है और इसे बोलने से किसी के ईमान या मजहब पर असर नहीं पड़ता। जिहाद की बात भड़काऊ है। मुस्लिम समाज को पहले खुद शिक्षा और तैयारी की जरूरत है। जुल्म का मुद्दा बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया जाता है, जो समाज को गुमराह करने की पुरानी कोशिश है। सवाल: क्या वंदे मातरम् जबरन बुलवाने के मामले सच हैं?
जवाब: ऐसी घटनाएं सोची-समझी साजिश के तहत वायरल की जाती हैं। किसी संगठित स्तर पर मुसलमानों पर दबाव नहीं है। सवाल: सुप्रीम कोर्ट पर सरकारी दबाव के आरोपों के बारे में आपकी क्या राय है?
जवाब: ये आरोप पूरी तरह आधारहीन हैं। सुप्रीम कोर्ट ने कई ऐसे फैसले दिए हैं जो मुस्लिम हित में हैं। हमें सुप्रीम कोर्ट का सम्मान करना चाहिए और उसके निर्णयों पर भरोसा रखना चाहिए। सवाल: क्या मदरसों में सुधार की जरूरत है?
जवाब: मदरसों में राष्ट्रनिर्माण से जुड़े विषय शामिल होने चाहिए। वीर अब्दुल हमीद और अब्दुल कलाम जैसे आइकॉन पढ़ाए जाने चाहिए। कट्टरवाद को हर हालत में जगह नहीं दी जानी चाहिए। सवाल: बुलडोजर कार्रवाई को लेकर आपकी क्या सोच है?
जवाब: कार्रवाई सिर्फ अनधिकृत निर्माणों पर होती है। जिन मकानों को गलत तरीके से गिराया गया, वहां मुआवजा भी दिया गया है। सवाल: सार्वजनिक नमाज़ और धार्मिक आयोजनों को लेकर क्या दिशा-निर्देश होने चाहिए?
जवाब: मस्जिद के अंदर नमाज़ करने पर रोक नहीं है। लेकिन सड़क या सार्वजनिक जगहों पर नमाज़ ठीक नहीं, इस मामले में नियम एक जैसे होने चाहिए। सवाल: बच्चों में नफरत फैलने और शिक्षकों व डॉक्टरों में भेदभाव की घटनाओं पर क्या कहना चाहेंगे?
जवाब: ऐसी घटनाएं बेहद कम होती हैं। समाज को आपसी भाईचारा (brotherhood) बढ़ाना चाहिए। सवाल: मुस्लिम लीडरशिप के बारे में आपकी क्या राय है?
जवाब: मदनी, ओवैसी जैसे नेता खुद को रहनुमा साबित करना चाहते हैं, लेकिन आज मुसलमान खुद फैसला करेगा, किसी की थोपे हुए विचार नहीं मानेगा। मुस्लिम समाज अपने राष्ट्रप्रेम को मजहब के खिलाफ नहीं मानता और संविधान तथा न्यायपालिका पर पूरा भरोसा करता है।
https://ift.tt/HglFN4j
🔗 Source:
Visit Original Article
📰 Curated by:
DNI News Live

Leave a Reply