फतेहपुर जिले के पूर्व ब्लॉक प्रमुख महेंद्र प्रताप सिंह की बहू कोमल उर्फ रश्मि (23) की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। प्रयागराज में तीन डॉक्टरों के पैनल ने वीडियोग्राफी के बीच उनका पोस्टमॉर्टम किया, जिसमें शरीर पर चोट के कोई निशान नहीं मिले। मौत का कारण फंदे से लटकना बताया गया है। इस मामले में मायके वालों ने ससुराल पक्ष के खिलाफ दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया है। पोस्टमॉर्टम पैनल में एक महिला डॉक्टर भी शामिल थीं। सूत्रों के अनुसार, जांच में कोमल के शरीर पर किसी प्रकार की चोट के निशान नहीं मिले। देर शाम मायके वालों ने दारागंज घाट पर कोमल का अंतिम संस्कार किया। इस दौरान ससुराल पक्ष का कोई भी सदस्य मौजूद नहीं था। कोमल कौशांबी जिले के सड़वापर गांव की रहने वाली थीं। उनके पिता धर्मेंद्र सिंह ने बताया कि उनकी बेटी की शादी 2 नवंबर को फतेहपुर के खागा निवासी आदित्य प्रताप सिंह से हुई थी। गुरुवार सुबह परिवार को फोन पर सूचना दी गई कि कोमल ने फंदा लगा लिया है। जब मायके वाले खागा पहुंचे, तो वहां कोई नहीं मिला। धर्मेंद्र सिंह के अनुसार, वे चार घंटे तक जानकारी के लिए भटकते रहे। बाद में उन्हें बताया गया कि कोमल का शव प्रयागराज के एसआरएन अस्पताल परिसर में पुलिस चौकी के सामने खड़ी एंबुलेंस में है। वहां भी ससुराल पक्ष का कोई सदस्य मौजूद नहीं था। पीड़ित पिता ने खागा थाने में पूर्व ब्लॉक प्रमुख महेंद्र प्रताप सिंह, उनकी पत्नी पुष्पा, बेटी अंजली और पति आदित्य प्रताप सिंह के खिलाफ दहेज हत्या का मुकदमा दर्ज कराया। उन्होंने आरोप लगाया है कि शादी के बाद से ही कोमल को दहेज के लिए प्रताड़ित किया जा रहा था। धर्मेंद्र सिंह ने यह भी बताया कि बेटी के शरीर पर कोई आभूषण नहीं था, यहां तक कि नाक की कील भी निकाल ली गई थी। परिवार ने आरोप लगाया कि पोस्टमार्टम से लेकर अंतिम संस्कार तक ससुराल पक्ष पूरी तरह गायब रहा। धर्मेंद्र सिंह ने दावा किया कि महेंद्र प्रताप सिंह के एक दामाद ने बार-बार फोन कर एफआईआर से अपनी पत्नी का नाम हटवाने का दबाव बनाया। कोमल चार बहनों में दूसरे नंबर पर थीं। उनकी शादी में 23 लाख रुपए से अधिक खर्च किए गए थे। परिवार अब न्याय की मांग कर रहा है।
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