हरियाणा के सबसे सनसनीखेज और बहुचर्चित सामूहिक हत्याकांड अब नया मोड़ ले रहा है। पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया समेत परिवार के 8 लोगों का मर्डर करने वाला दामाद संजीव अंतरिम जमानत पर जेल से बाहर आ गया है। करनाल जेल से बाहर आने के बाद जब मीडिया ने बात करने की कोशिश की तो संजीव ने कहा-3 दिन बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगा। संजीव की पत्नी सोनिया कि रिहाई भी एक-दो दिन में संभव है। ऐसे में उम्मीद है कि दोनों साथ ही बोलेंगे। हाईकोर्ट ने दोनों की समय पूर्व रिहाई पर हरियाणा सरकार को 2 महीने में फैसला लेने के निर्देश देते हुए अंतरिम जमानत मंजूर की थी। संजीव की रिहाई कराने उत्तर प्रदेश के सहारनपुर से उसके परिजन आए। नीली कार में बैठते ही संजीव ने चेहरा छुपा लिया। रेलूराम की बेटी सोनिया की जमानत को लेकर भी हलचल तेज हो गई है। उनकी वकील दीपमाला महक ने कहा कि सोनिया को भी सोमवार या मंगलवार तक अंतरिम जमानत मिल सकती है। इधर, स्व. रेलूराम के भतीजे के परिवार के सदस्यों की बेचैनी बढ़ गई है। उन्होंने अपनी सुरक्षा बढ़ाने के लिए पुलिस से संपर्क किया है। प्रॉपर्टी विवाद में 24 साल पहले 8 मर्डर हुए थे। अब करीब 100 एकड़ जमीन, हिसार के बरवाला व फरीदाबाद में कोठियां और नांगलोई में 15 दुकानें नए विवाद को जन्म दे सकती हैं। सबसे पहले जानिए….संजीव ने जेल से निकलने के बाद क्या कहा चुपचाप कार की पिछली सीट पर बैठा, चेहरा छुपाया
शनिवार को संजीव के परिजनों ने पहले यमुनानगर के व्यासपुर में सिक्योरिटी-श्योरिटी बांड दिए। वहां पैरोल के दौरान गायब होने का केस दर्ज था। वहां की औपचारिकता पूरी करने के बाद परिवार के लोग वकील को लेकर करनाल जेल में पहुंचे। यहां सारी औपचारिकताएं पूरी की। जब तक संजीव की रिहाई हुई, बाहर अंधेरा छाने लगा था।
जेल से निकलकर संजीव सीधा कुछ दूरी पर खड़ी नीली कार की पिछली सीट पर जाकर बैठ गया। उसने टोपी पहनी हुई थी। मीडिया तस्वीरें न खींच ले, इसलिए चेहरे नीचे किया हुआ था। उससे बात करने की कोशिश की तो एक लाइन ही बोली-मैं 3 दिन बाद प्रेस कॉन्फ्रेंस करूंगा। वकील ने कहा-जेल सुधारगृह है, इंसान को जीने का मौका मिलना चाहिए
आरोपी संजीव की एडवोकेट दीपमाला उर्फ महक ने अंतरिम जमानत मिलने पर माननीय हाईकोर्ट का धन्यवाद किया। उन्होंने कहा कि इंसान की प्रवृत्ति बदलती रहती है और जेल का मकसद सजा देना ही नहीं, बल्कि सुधार करना भी है। एडवोकेट ने कहा कि जेलों को सुधारगृह इसलिए कहा जाता है ताकि वहां व्यक्ति अपने जीवन पर विचार करे और सुधर सके। अगर न्याय की बात की जाए तो हर इंसान को जीवन जीने का एक अवसर मिलना चाहिए। कई लोग ऐसे हैं, जो जेल में रहकर सुधर चुके हैं और समाज की मुख्यधारा में लौटे हैं। सोनिया को भी मिल सकती है अंतरिम जमानत
एडवोकेट महक ने बताया कि संजीव बहुत लंबे समय बाद जेल से बाहर आया है और अब वह एक सामान्य जीवन जीने की कोशिश करेगा। सोनिया के बारे में उन्होंने कहा कि उसकी जमानत की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है और संभावना है कि सोमवार या मंगलवार को उसे भी राहत मिल जाए। उन्होंने बताया कि यह केस उनके लिए भी बेहद कठिन रहा है। केस की गहन स्टडी के दौरान उन्हें लगा कि कई ऐसे पहलू थे, जिन पर पहले ध्यान नहीं दिया गया। अगर वे बातें समय रहते सामने आतीं, तो शायद इन्हें पहले ही न्याय मिल सकता था। बिना वकील के हुआ था फैसला, धमकियों का भी आरोप
एडवोकेट महक ने दावा किया कि जब निचली अदालतों से सोनिया और संजीव को सजा सुनाई गई, उस समय कोई भी वकील उनकी पैरवी करने को तैयार नहीं था। जो भी वकील केस लेने की कोशिश करता था, उसे धमकियां दी जाती थीं। हालात ऐसे थे कि वकील कोर्ट तक नहीं पहुंच पाते थे। ऐसे में बिना प्रभावी पैरवी के ही फैसला सुना दिया गया। 8 हत्याओं के सवाल पर चुप रहीं वकील
जब एडवोकेट से आठ लोगों की हत्या को लेकर सवाल किया गया, तो उन्होंने इस पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया। उन्होंने कहा कि इस केस में बहुत सी ऐसी बातें हैं, जिन पर वे अभी कुछ नहीं कह सकतीं। अगर इस मामले को किसी और नजरिए से देखा जाए, तो तस्वीर अलग भी हो सकती है। क्या था पूरा मामला…जानिए… लोहे की रॉड और डंडों से की गई थी हत्या
रेलूराम पूनिया हत्याकांड को हरियाणा के सबसे क्रूर मामलों में गिना जाता है। 23 अगस्त 2001 की रात हिसार जिले के लितानी गांव स्थित फार्महाउस में यह खूनखराबा हुआ। सभी लोग गहरी नींद में थे, तभी उन पर हमला किया गया। लोहे की रॉड और डंडों से एक-एक कर सभी को बेरहमी से मार डाला गया। इस हमले में पूर्व विधायक रेलूराम पूनिया, उनकी पत्नी, बेटा, बहू, पोता, पोती और एक अन्य बच्चा मारा गया। पूरी फैमिली खत्म हो गई थी। 19वें जन्मदिन पर रची थी खौफनाक साजिश
सोनिया वही बेटी है, जिसने अपने 19वें जन्मदिन पर अपने ही पिता रेलूराम पूनिया सहित पूरे परिवार को मौत के घाट उतरवाने की साजिश रची थी। संजीव ने पूछताछ में बताया था कि उन्होंने इस हत्याकांड के लिए सोनिया के जन्मदिन को चुना था। पहले सभी को एक साथ गोली मारने की योजना थी, लेकिन ऐसा नहीं हो पाया। इसके बाद लोहे की रॉड से हमला किया गया। जमीन-जायदाद बनी हत्या की वजह
जांच में सामने आया कि इस नरसंहार के पीछे जमीन-जायदाद का विवाद था। सोनिया और उसके पति संजीव ने परिवार की संपत्ति पर कब्जा करने की योजना बनाई और इसी लालच में इस हत्याकांड को अंजाम दिया। दोनों ने वारदात के बाद आत्महत्या की भी कोशिश की, लेकिन वे बच गए। अदालत ने इसे पूरी तरह से योजनाबद्ध और क्रूर हत्या माना था। सोनिया का कबूलनामा भी आया था सामने
पुलिस पूछताछ में सोनिया ने कबूल किया था कि उसी ने अपने पति संजीव के साथ मिलकर आठों की हत्या की। उसने कहा था कि उसके पिता उसे और उसके पति को संपत्ति नहीं देना चाहते थे। इसी बात से नाराज होकर उसने यह कदम उठाया। सोनिया ने यह भी कहा था कि वह वारदात के बाद खुद को भी खत्म करना चाहती थी, लेकिन ऐसा नहीं हो सका। उसने परिवार के अंदर चल रहे विवादों और आरोप-प्रत्यारोपों का भी जिक्र किया था। पहले फांसी, फिर उम्रकैद का लंबा कानूनी सफर
साल 2004 में अदालत ने सोनिया और संजीव को मृत्युदंड की सजा सुनाई थी। बाद में हाईकोर्ट ने इस सजा को उम्रकैद में बदल दिया। इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जहां सुप्रीम कोर्ट ने फिर से फांसी की सजा को बहाल कर दिया। इसके बाद दया याचिकाओं और अन्य कानूनी प्रक्रियाओं के चलते सजा का स्वरूप बदलता रहा। अंततः सुप्रीम कोर्ट के एक फैसले के बाद दोनों की सजा उम्रकैद में बदल गई। राज्य सरकार सुप्रीम कोर्ट जाने की तैयारी में
इस मामले में राज्य की ओर से पैरवी कर रहे अधिवक्ता लाल बहादुर खोवाल ने कहा कि हाईकोर्ट ने संजीव को दो महीने की अंतरिम जमानत दी है। अब इस फैसले के खिलाफ सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर की जाएगी। उन्होंने बताया कि जेल में दोनों का व्यवहार ठीक नहीं रहा है और इस आधार पर जमानत का विरोध किया जाएगा।
उन्होंने कहा कि यह मामला रेयरेस्ट ऑफ रेयर की श्रेणी में आता है और ऐसे दोषियों की रिहाई से समाज में गलत संदेश जा सकता है। बताया गया है कि जेल रिकॉर्ड में सोनिया के खिलाफ 17 बार और संजीव के खिलाफ 7 बार झगड़े दर्ज हैं।
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