कानपुर में गिट्टी-मौरंग कारोबारी से अवैध वसूली करने के मामले में सात पुलिस कर्मियों को क्लीन चिट दे दी गई है। एसीपी ने इस मामले की जांच की थी, जिसमें उनके खिलाफ वसूली के कोई साक्ष्य नहीं मिले। लेकिन एक दूसरे की चुगली करने में मामले में पुलिस कर्मी दोषी पाए गए हैं। एसीपी कैंट आकांक्षा पांडेय की जांच में सामने आया है कि पुलिस कर्मी ही एक दूसरी की शिकायतें कर रहे थे और वीडियो वायरल कर रहे थे। जिसके बाद सभी को नोटिस जारी किए गए हैं और सभी से जवाब तलब किया गया है। पुलिस कर्मियों का जवाब आने के बाद में सभी के खिलाफ विभागीय कार्रवाई की जाएगी। पुलिस कर्मियों पर लगे थे गंभीर आरोप महाराजपुर थाना क्षेत्र के सरसौल निवासी शीलू यादव गिट्टी–मौरंग कारोबारी हैं। उन्होंने पुलिस कर्मियों पर गंभीर आरोप लगाए थे। उन्होंने बताया था कि 18 सितंबर को सरसौल चौकी के पास खेत जाते समय दो अंडर-ट्रेनी दरोगाओं ने उन्हें रोक लिया था। दोनों ने जुआ खेलने और अवैध खनन के आरोप में चौकी ले जाकर जेल भेजने की धमकी दी। इसके बाद 2 लाख रुपये की मांग की। बातचीत के बाद इस मामले में 50 हजार रुपए में सौदा तय हुआ था। जिसके बाद शीलू ने 26 हजार रुपये दे दिए। जिसके बाद उसने शिकायत की थी। व्यापारी ने दी थी आत्मदाह की धमकी घटना के बाद शीलू यादव ने पुलिस कर्मियों का वीडियो जारी किया था और आरोप लगाया था कि बचे हुए 24 हजार के लिए पुलिस कर्मी उस पर दबाव बना रहे हैं। लगातार उसे धमकाया जा रहा है और मानसिक दबाव बनाया जा रहा है। व्यापारी का कहना था कि वह पुलिस कर्मियों के कारण काफी ज्यादा तनाव में है और उसने पेट्रोल डालकर आत्मदाह की धमकी दे दी थी। जिसके बाद पुलिस हरकत में आई थी और इस मामले की जांच बैठा दी थी। डीसीपी वेस्ट ने इस मामले की जांच सीओ कैंट को सौपी थी। सात पुलिस कर्मी किए गए थे लाइन हाजिर घटना के बाद डीसीपी पूर्वी सत्यजीत गुप्ता ने मामले की जांच बैठाई थी। प्रारंभिक जांच में सात पुलिसकर्मियों की भूमिका संदिग्ध पाई गई थी। जिसके बाद दरोगा प्रदीप कुमार, आशीष, विष्णु कुमार, रवि शंकर, शैलेंद्र सिंह और सिपाही बंटी कुमार व सुल्तान सिंह के खिलाफ कार्रवाई हुर्इ थी और 25 सितंबर को सभी को लाइन हाजिर कर दिया गया था। जवाब आने के बाद होगी विभागीय कार्रवाई डीसीपी पूर्वी सत्यजीत सिंह ने बताया कि विभागीय जांच में सामने आया है कि पुलिस कर्मियों ने खुद ही एक दूसरे के वीडियो वायरल किए थे। जिसके चलते सभी को नोटिस जारी करके स्पष्टीकरण मांगा गया है। कुछ ने जवाब भी दे दिए हैं। सभी के जवाब आने के बाद आगे की विभागीय कार्रवाई की जाएगी।
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