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पुरानी पेंशन योजना के विकल्प के शासनादेश को चुनौती:इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से 6 हफ्ते में मांगा जवाब

प्रदेश के विभिन्न जिलों में कार्यरत फार्मासिस्ट एलोपैथिक ने राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के स्थान पर पुरानी पेंशन योजना से आच्छादित किये जाने के संबंध में विकल्प की व्यवस्था हेतु 28 जून 2024 को उत्तर प्रदेश शासन के अपर मुख्य सचिव द्वारा जारी किए गए शासनादेश संख्या 14/2024 के पैराग्राफ 2 और 4 को याचिका दायर कर चुनौती दी गई है। शासनादेश में के पैराग्राफ 2 में कहा गया कि ऐसे कर्मचारी जिनकी भर्ती/ नियुक्ति के लिए विज्ञापन राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली की अधिसूचना की तारीख़ 28.मार्च.2005 के पूर्व किया गया था और उक्त विज्ञापन के सापेक्ष नियुक्ति के उपरांत01.अप्रैल .2005 को अथवा उसके पश्चात सेवा में कार्यभार ग्रहण करने पर राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत आच्छादित किया गया है ।पैराग्राफ 4 में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली के अंतर्गत कवर किये गये कर्मचारियों को उत्तर प्रदेश रिटायरमेंट बेनिफिट्स रूल्स 1961 के अधीन आच्छादित किये जाने के लिए एक विकल्प दिया जाए। याचीगण के अधिवक्ता का कहना है कि शासनादेश में 28.मार्च .2005 के पूर्व जारी किये गये विज्ञापन के अनुसार पात्र अभ्यर्थियों का चयन विभाग के अधिकारियों की गलती के कारण नहीं हो पाया है,। इस संबंध में कोई व्यवस्था 28 जून 2024 के शासनादेश में नहीं की गई है। महानिदेशक चिकित्सा एवं स्वास्थ्य सेवाएं उ प्र ने 28.08.1998 को फार्मासिस्ट एलोपैथिक के 422 पदों की भर्ती का विज्ञापन प्रकाशित किया और उ प्र फार्मासिस्ट सर्विस रूल्स 1980 के तहत किसी मान्यता प्राप्त संस्था से फार्मेसी में डिप्लोमा रखता हो और स्टेट मेडिकल फार्मेसी कौंसिल में पंजीकृत हो, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों ने नियमों को नजरंदाज कर जूनियर को नियुक्त प्रदान कर दी, जो मेरिट सूची में शामिल नहीं थे, वे अब ओल्ड पेंशन प्रणाली में शामिल हैं जबकि बहुत से सीनियर नियुक्ति पाने से वंचित रह गए थे ।उन्होंने भी इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिकाएं दायर कर नियुक्ति पाने का भरसक प्रयास किया ।लेकिन असफल रहे। इसके बाद 12.नवंबर .2007 को फार्मासिस्ट एलोपैथिक के 766 पदों का विज्ञापन प्रकाशित किया गया, इस विज्ञापन और नियुक्ति प्रक्रिया को इलाहाबाद हाईकोर्ट में चुनौती दी गई, लम्बी कानूनी लड़ाई के बाद 2012 में नियुक्त किया गया था। भानुप्रताप सिंह व अन्य 24 बनाम राज्य सरकार व अन्य द्वारा दाखिल याचिका में कहा गया कि यदि नियुक्ति प्राधिकारी उ प्र फार्मासिस्ट सर्विस रूल्स 1980 पैराग्राफ 15 दो के अनुसार बैच वाइज और इयर वाइज मेरिट लिस्ट बनाते तो बहुत से याची गण 1998 के विज्ञापन के तहत ही नियुक्ति पा जाते, लेकिन स्वास्थ्य विभाग के अधिकारियों के फाल्ट के कारण वे नियुक्ति नहीं पा सके और पुरानी पेंशन योजना से वंचित रह गए, इस में याचीगणों का कोई दोष नहीं है। याचिका में कहा गया है कि इलाहाबाद हाईकोर्ट की डिवीजन बेंच द्वारा राजीव कुमार गुप्ता बनाम स्टेट आफ यूपी में 20.मार्च 2023 आदेश को नजरंदाज कर 28 जून 2024 का शासनादेश जारी किया गया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट के एकल पीठ के न्यायाधीश न्यायमूर्ति विकास बुधवार ने याचिका की सुनवाई करते हुए राज्य सरकार से 6 सप्ताह में प्रति शपथ पत्र मांगा है।


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