अंबेडकरनगर में पराली जलाने के मामलों में वृद्धि के बाद प्रशासन ने सख्त कार्रवाई की है। जिले में 52 किसानों पर कुल 2 लाख 85 हजार रुपये का अर्थदंड लगाया गया है। इसके अतिरिक्त, एक किसान पर मुकदमा भी दर्ज किया गया है और उससे 55 हजार रुपये की वसूली की गई है। किसान धान की कटाई के बाद गेहूं की बुवाई के लिए खेत तैयार करने की जल्दी में पराली जला रहे हैं। जिले में 23 नवंबर तक पराली जलाने के मामलों में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। पिछले साल कुल 128 घटनाएं सामने आई थीं, जिनमें 89 पराली जलाने और 39 कूड़ा-करकट जलाने के मामले शामिल थे। तब भी किसानों से जुर्माना वसूला गया था। प्रशासन ‘पराली नहीं जलाएं, पर्यावरण बचाएं’ जैसे नारों के माध्यम से लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है। किसानों को पराली जलाने से होने वाले पर्यावरणीय प्रदूषण और भूमि की उर्वरता में कमी के बारे में बताया जा रहा है। इसके बावजूद, पराली जलाने की घटनाएं थम नहीं रही है, जिससे वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और मानव जीवन पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है। पराली और अन्य कृषि अपशिष्टों को जलाने से होने वाले प्रदूषण को रोकने के लिए जनपद, तहसील और ब्लॉक स्तर पर विशेष टीमें गठित की गई हैं। ये टीमें किसानों को लगातार जागरूक कर रही हैं और नियमों का उल्लंघन करने वालों पर कार्रवाई कर रही हैं।उपकृषि निदेशक डॉ. अश्विनी कुमार सिंह ने बताया कि दो एकड़ से कम क्षेत्रफल के लिए 5 हजार रुपये, दो से पांच एकड़ के लिए 10 हजार रुपये और पांच एकड़ से अधिक क्षेत्रफल के लिए 30 हजार रुपये तक का पर्यावरण जुर्माना वसूलने के निर्देश है। इस वर्ष अकबरपुर में 8, आलापुर में 13, जलालपुर में 15, टांडा में 12 और भीटी में 4 किसानों पर कुल 2 लाख 85 हजार रुपये का जुर्माना लगाया गया है। उपकृषि निदेशक ने किसानों से पराली न जलाने और इसे गौशालाओं में भेजने की अपील की है। उन्होंने किसानों से वायु प्रदूषण को रोकने और अपनी भूमि को खराब होने से बचाने में अपनी जिम्मेदारी निभाने का आग्रह किया।
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