नोएडा सेफ सिटी परियोजना में देरी होगी। इसकी वजह तीन बार टेंडर जारी होने के बाद भी कंपनी का चयन नहीं होना है। प्राधिकरण चौथी बार कॉल करने से पहले कुछ बदलाव कर सकता है। इसके लिए ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण की सेफ सिटी प्रोजेक्ट को देखा जाएगा। आरएफपी में बदलाव किया जा सकता है। इसके संकेत भी मिले है। प्राधिकरण सीईओ लोकेश एम ने कहा कि ये सुरक्षा से जुड़ा मामला है। उच्च गुणवत्ता के कैमरे, नई टेक्नॉलॉजी बेस्ड काम कराया जाएगा। उसकी कंपनी को लाएंगे जो सभी मानकों को पूरा करती हो। इससे पहले तीन बार टेंडर जारी किए गए थे। लेकिन कंपनियों ने बिड प्रोसेस में रुचि नहीं दिखाई। शहर में सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत 561 लोकेशन पर 2100 सीसीटीवी कैमरा लगाया जाएगा। यह कैमरे नाइट विजन व फेस डिटेक्शन कैमरे होंगे, जो इंट्रीग्रेटेड सिक्योरिटी एंड ट्रैफिक मैनेजमेंट सिस्टम (आइएसटीएमएस) के कैमरों से बिल्कुल अलग होंगे। मानिटरिंग के लिए अलग से कंट्रोल रूम भी बनाया जाएगा। इनका वाहनों के चालान से कोई संबंध नहीं होगा, लेकिन सुरक्षा के तहत वाहनों की नंबर प्लेट व उसमें बैठे लोग भी साफ तौर पर कैमरे की नजर से देखा जा सकेगा। 212 करोड़ का है प्रोजेक्ट
सेफ सिटी प्रोजेक्ट को पूरा करने में करीब 212 करोड़ रुपए खर्च किए जाएंगे। यह पैसा नोएडा प्राधिकरण खर्च करेगा। चुनी जाने वाली कंपनी का काम सीसीटीवी कैमरों को इंस्टॉल करना, आप्टिकल फाइबर लाइन डालना, पोल और उसकी मॉनिटरिंग का प्रशिक्षण देना होगा। इसको 6 से 9 माह में पूरा किया जाएगा। सीईओ ने बताया कि ये बड़ा प्रोजेक्ट है। शहर वासियों की सुरक्षा के लिए ये योजना है। इसलिए उच्च गुणवत्ता और बेहतर टैक्नॉलाजी का यूज किया जाएगा। जल्द ही टेंडर जारी किया जाएगा। पुलिस सूची के अनुसार लगेंगे कैमरे
सेफ सिटी प्रोजेक्ट के तहत जिन स्थानों की सूची पुलिस विभाग ने दी। उसमें बाजार, सरकारी निजी स्कूल, ब्लैक स्पाट और भीड़ भाड़ वाले इलाके मेट्रो स्टेशन , बस स्टैंड , माल्स के बाहर स्थान शामिल है। सेफ सिटी परियोजना के तहत गौतमबुद्ध नगर को दो हिस्सों में बांटा गया है। पहला नोएडा और दूसरा ग्रेटर नोएडा। यानी सीसीटीवी कैमरों का पूरा इन्फ्रास्ट्रक्चर दोनों प्राधिकरण (नोएडा प्राधिकरण और ग्रेटर नोएडा प्राधिकरण) बनाएंगे। और इसका संचालन पुलिस विभाग की ओर से किया जाएगा।
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