नोएडा प्राधिकरण की ओर से सभी 116 ग्रुप हाउसिंग परियोजनाओं पर 30 नवंबर तक 34 हजार 283 करोड़ रुपए का बकाया है। जिनमें से करीब 25 हजार करोड़ रुपए ऐसे मामलों से जुड़े हैं जो कोर्ट, एनसीएलटी और सालों से ठप पड़ी परियोजनाओं में फंसे हुए हैं। इन सभी आकड़ों को प्राधिकरण ऑनलाइन करने जा रहा है। जिससे बायर्स को बिल्डर प्रोजेक्ट की सही जानकारी मिल सके। सुप्रीम कोर्ट मॉनिटरिंग में अटके बड़े बकाये
सर्वाधिक बकाया उन परियोजनाओं का है जो सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में चल रही हैं और जिन पर प्राधिकरण किसी भी तरह की रिकवरी कार्रवाई नहीं कर सकता। अम्रपाली और यूनिटेक समूह इसमें सबसे बड़े डिफॉल्टर हैं। अम्रपाली समूह की नौ परियोजनाएं ज्यादातर 2009 से 2011 के बीच आवंटित है पर कुल 5,193 करोड़ रुपए बकाया हैं। इनमें सेक्टर 76 की सिलिकॉन सिटी, सेक्टर 120 की जोडियक, सेक्टर 45 की सफायर, सेक्टर 76 की प्रिंसली एस्टेट और सेक्टर 50 की एडन पार्क जैसी परियोजनाएं शामिल हैं। 2019 में फंड डाइवर्जन और निर्माण ठप होने के बाद ये सभी परियोजनाएं सुप्रीम कोर्ट की देखरेख में आ गई थीं। यूनिटेक समूह नोएडा का सबसे बड़ा डिफॉल्टर है, जिसके पांच भूखंडों पर 13,509 करोड़ रुपए बकाया हैं। इनमें सबसे बड़ा बकाया 2006 में आवंटित सेक्टर 96,97,98 में है। जबकि सेक्टर 113, 117 और 144 में 2007-2011 के बीच हुए आवंटन भी वर्षों से विवादों और देरी के कारण रुके पड़े हैं। NCLT में फंसे 16 डेवलपर, 7,300 करोड़ का बकाया
सुप्रीम कोर्ट के मामलों के बाहर 16 डेवलपर दिवालियापन प्रक्रिया में हैं, जिन पर कुल लगभग 7,300 करोड़ रुपए बकाया हैं। इसमें बड़े देनदार है। अधूरे और पूर्ण लेकिन बकाया प्रोजेक्ट प्राधिकरण ने 30 अधूरी परियोजनाओं की पहचान की है जिन पर 6,761 करोड़ रुपए के बकाये हैं। वहीं, 13 पूरी हो चुकी परियोजनाओं ने 703 करोड़ रुपए का भुगतान नहीं किया है, जबकि वे कब्जा दे चुके हैं।
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