देश के पहले प्रधानमंत्री पंडित जवाहर लाल नेहरू के सपनों का स्विट्जरलैंड’ कहे जाने वाला सिंगरौली का म्योरपुर विकास खंड आज गंभीर प्रदूषण की मार झेल रहा है। यह इलाका सोनभद्र जिले का हिस्सा है। केंद्र और राज्य सरकारें विकास व शुद्ध पेयजल के लिए करोड़ों रुपए खर्च कर रही हैं, लेकिन जमीनी स्तर पर इसका लाभ अंतिम व्यक्ति तक नहीं पहुंच पा रहा है। इसी सच्चाई को जानने के लिए मानवाधिकार कार्यकर्ता बंटी श्रीवास्तव और अंतरराष्ट्रीय सम्मान प्राप्त डाक्यूमेंट्री फिल्म निर्माता देवेंद्र शिवाजी जाधव ने क्षेत्र का दौरा किया। उन्होंने जमीनी हालात का जायजा लिया और एक रिपोर्ट तैयार की। टीम की रिपोर्ट के अनुसार, सरकारी योजनाएं अच्छी हैं, लेकिन उनके क्रियान्वयन में लगे अधिकारी और जिम्मेदार ही सरकार की छवि खराब कर रहे हैं। जाधव ने बताया कि प्राकृतिक सौंदर्य और संसाधनों से भरपूर यह इलाका विश्वस्तरीय पहचान रखता है, फिर भी पर्यावरण की अनदेखी के कारण यहां की हवा और पानी जहरीले होते जा रहे हैं। शूटिंग के दौरान टीम ने म्योरपुर ब्लॉक की टूटी सड़कें, बीजपुर मार्ग पर मोबाइल नेटवर्क की समस्या, अनपरा-शक्तिनगर रोड पर उड़ती धूल और रिंहद जलाशय में घुलते राखड़ जैसी दयनीय स्थितियां देखीं। बलियानाला की स्थिति भी चिंताजनक पाई गई। फिल्म निर्माता बोले- यहां जम्मू-कश्मीर जैसी भी सुविधा नहीं वहीं, फिल्म निर्माता सुरिंदर सिंह ने इस पर टिप्पणी करते हुए कहा, “जम्मू-कश्मीर जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में भी बिजली-पानी सुगमता से उपलब्ध है, फिर यहां संसाधन और भूगोल के बावजूद लोग परेशान क्यों हैं?” उन्होंने बताया कि फिल्म के माध्यम से आम जनता की पीड़ा के साथ सरकार के प्रयासों को भी दिखाया जाएगा, ताकि उपेक्षित लोगों की वास्तविक स्थिति दुनिया के सामने आ सके। वही, सिंगरौली प्रदूषण मुक्ति वाहिनी के संयोजक रामेश्वर प्रसाद ने कहा कि दुनिया के कई देशों में कोयले और पानी से बिजली बनती है, लेकिन वहां इतना प्रदूषण नहीं है। उन्होंने जोर दिया कि औद्योगिक उत्पादन और पर्यावरण संतुलन साथ-साथ चल सकता है, बशर्ते मजबूत इच्छाशक्ति हो। वहीं, जल निगम के अधिशासी अभियंता अरुण सिंह ने दावा किया कि आने वाले दो से तीन महीनों में हर घर तक नल से शुद्ध पेयजल पहुंचाने का लक्ष्य पूरा कर लिया जाएगा।
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