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नई उम्र की लड़की मिलेगी, कीमत 700 रुपए:सीतापुर में खुलेआम देह व्यापार का धंधा चल रहा, दूसरे जिलों से ऑर्डर पर आती हैं लड़कियां

रिपोर्टर- लड़कियों का क्या रेट है ? महिला – 700 रुपए रिपोर्टर – कौन कौन सी लड़कियां हैं ? महिला – सभी हैं जैसा चाहोगे सब मिलेंगी। रिपोर्टर- नई उम्र की लड़की मिलेगी! महिला- हां मिल जाएगी। रिपोर्टर – पुलिस तो नहीं आएगी ? महिला – कुछ नहीं रिपोर्टर- अगर पुलिस आ गई तो ? महिला – आ कैसे जाएगी। अब जानिए देह व्यापार का पूरा नेटवर्क सीतापुर के महोली क्षेत्र में उरदौली गांव के उत्तर बसे छोटे से पुरवे “नटपुरवा” में फिर से एक बार देह व्यापार का काला कारोबर सिर उठाने लगा है। इस गांव में लगभग 800 लोगों की आबादी है, जहां शाम ढलते ही जिस्म के खरीदारों की कतार लग जाती है। हमारी टीम ने इस गांव की उन गलियों में प्रवेश किया, जहां पुलिस की नज़रें कम और धंधेबाजों का नेटवर्क बेहद मजबूत है। चार सौ की आबादी वाले इस गांव में करीब 15 घर ऐसे है, जो इस देह व्यापार में शामिल है। इस व्यापार का नेटवर्क इतना बड़ा है कि ऑर्डर करने पर दूसरे जिलों से लड़कियां मंगाई जाती है। इस व्यापार में सबसे अहम कड़ी दलाल है, जिनकी वजह से यह धंधा तेजी से फल फूल रहा है। नटपुरवा में देह व्यापार का जाल इतना गहरा हैं कि ग्रामीण बताते हैं करीब एक दशक पहले यहां इतनी बदनामी फैल चुकी थी कि लोग इस गांव का नाम बताने से पहले भी दस बार सोचते थे। ग्रामीण बताते है कि इसी गांव में पड़ोसी जिले का एक अमीर युवक यहीं से संक्रमित होकर एड्स का शिकार हो गया और बाद में उसकी मौत भी हो गई। गांव की पहचान इस काले कारोबार के वजह से होने लगी थी। बीच में कुछ दिनों के लिए प्रशासन की सख्ती की वजह से इस काले कारोबार पर रोक तो लगी। कुछ दिनों तक गांव में सन्नाटा छाया रहा। लेकिन फिर कुछ महीनों के बाद शराब, नशा और सुरक्षित संबंधों की “गारंटी” के नाम पर युवाओं को लुभाने का धंधा दोबारा शुरू हुआ। गांव की गलियों में फिर वही देर रात की रौनक और वही घरों के बाहर बैठी महिलाएं बताती हैं कि पहले मजबूरी थी, आज दिनचर्या। एक पीड़ित महिला की कहानी हमारी टीम की बातचीत गांव की 45 वर्षीय महिला से हुई जो कभी खुद इस धंधे का हिस्सा रही है। दर्द छुपाते हुए उसने बताया “पति शराबी था, घर में खाने के लाले पड़े थे। पहले मजबूरी में इस धंधे में आने को मजबूर हुई। लेकिन धीरे-धीरे गांव की और महिलाएं भी इसमें उतर गईं। पैसे की चमक देखकर लड़कियां खुद आने लगीं।” उसने बताया कि कोरोना काल में यह धंधा लगभग पूरी तरह ठप हो गया था। लेकिन पिछले दो-तीन वर्षों में 18 से 40 वर्ष की उम्र के युवाओं की आमद फिर से बढ़ गई है। कुछ महिलाएं उरदौली–सीतापुर मार्ग पर खड़े होकर अपने नियमित ग्राहकों खासतौर पर ट्रक ड्राइवरों का इंतज़ार करती हैं। नेटवर्क बड़ा, दायरा विस्तृत गांव के करीब एक दर्जन घर ऐसे हैं जहां संगठित देह व्यापार चलता है। स्थिति यह है कि हरदोई, लखीमपुर और बाराबंकी से लड़कियां ऑर्डर पर मंगाई जाती हैं, यहां की युवतियां दूसरे जिलों में भेजी जाती हैं, बाहर की कई गाड़ियां हर शाम यहां पहुंचती हैं। मोबाइल फोन इस धंधे की रीढ़ बन चुका है। दलाल और संचालक सिर्फ फोन पर ही “कस्टमर”, “रेट” और “टाइमिंग” तय कर लेते हैं। गांव का काला सच हमारी टीम की आंखों से टीम शाम को गांव के अंदर तब दाखिल हुई, जब कुछ महिलाएं अपने घरों के बाहर चारपाई पर बैठी थीं। गांव का माहौल बेहद असहज, अजीब सा सन्नाटा और चौकन्नी निगाहें हमें आसाधारण लग रहा था। हम एक छोटे से मकान के पास जाकर रुके। दरवाजे पर दो युवतियां मोबाइल हाथ में लिए बैठी थीं। शायद ग्राहक आने का इंतज़ार कर रही थीं। हमें रुकता देख एक युवती ने तुरंत अंदर किसी को आवाज दी- “मम्मी… कोई आया है!” थोड़ी ही देर में हरी साड़ी पहने लगभग 45 साल की महिला सीढ़ियां उतरकर आई। आते ही उसने सवाल किया- “पहली बार आए हो?” हमने हामी भरी। वह तुरंत घर के बाहर झांककर यह देखने लगी कि कहीं आसपास कोई और तो नहीं। बहाने-बहाने से हमारी बातचीत शुरू हुई। रेट पूछने पर महिला ने जवाब दिया- “यहां 700 रुपए है… लड़की कोई भी हो, रेट फिक्स ही है।” हमने अगला सवाल पूछा “पुलिस तो नहीं आएगी ? महिला ने कहा “नही” हमने फिर से एक बार पूछा “ऐसा न हो कि कमरे में जाएं और छापा पड़ जाए।” महिला गुस्से से बोली- “ऐसे कैसे आ जाएगी? सब सेट है।” उसके तेवर सुन टीम भी हैरान रह गई। “कौन-कौन है?” और फिर लड़कियों की पेशकश हमने पूछा “लड़की कौन है?” महिला बाहर गई और थोड़ी देर बाद करीब 28 साल की युवती को लेकर लौटी। हमने और विकल्प पूछे तो उसने तुरंत अपने मोबाइल पर किसी को कॉल किया और कुछ मिनटों में ही दूसरी लड़की भी घर पर आ गई। लेकिन जब हमने तीसरी का पूछा, वह नाराज़ हो गई। “सभी लड़कियों को नहीं दिखा सकते… ज्यादा पूछताछ मत करो।” इतने में आसपास कुछ युवकों की आवाजें सुनाई दीं और हमें लगा कि माहौल बदल रहा है। खतरा महसूस होते ही हमने अपना कैमरा बंद किया और वहां से निकलने का फैसला लिया। हमारी टीम बिना किसी जोखिम लिए चुपचाप उसी रास्ते से वापस आ गई। ग्रामीणों की दबी आवाज — “पुलिस ध्यान दे तो गांव बच जाए” सिंघौड़ा और नटपुरवा के कई ग्रामीण इस बदनुमा धंधे से दुखी हैं। कुछ ने नाम न प्रकाशित करने की शर्त पर बताया— “धंधा चोरी-चोरी फिर से चल रहा है। पुलिस को सब पता है, पर कार्रवाई नहीं होती। गांव बदनाम हो रहा है… बच्चे गलत माहौल में बड़े हो रहे हैं।” गांव के ही एक दूसरे युवक देशराज ने भी गांव में हो रही वेश्यावृत्ति को रोकने की मांग की है। एक बुजुर्ग ने कहा— “पिछली बार कार्रवाई हुई थी तो धंधा बंद हो गया था। अब फिर वहीं शुरू हो गया। पुलिस ध्यान दे तो यह सब अवैध कार्य रूक जाएगा।” जब इस पूरे मामले के बारे में महोली थाना प्रभारी जेबी पांडे से पूछा गया तो उन्होने बताया गांव में देह व्यापार के 3 तरीके नेटवर्क बड़ा, दायरा विस्तृत गांव के लोग इस काले कारोबार को लेकर चिंतित है। इसकी वजह से क्षेत्र के युवा पीढ़ी इसके शिकार होते जा रहे है। देह व्यापार के साथ साथ नशे का धंधा भी फल फूल रहा है। ग्रामीणों का कहना है कि प्रशासन को इस धंधे के खिलाफ कार्रवाई करनी चाहिए। इसमें संलिप्त लोगों पर कार्रवाई करके इस धंधे पर रोक लगाना चाहिए। इस धंधे में शामिल महिलाओं को समाज की मुख्यधारा से जोड़ने का प्रयास हो। यदि इस पर समय से कार्रवाई न की गई तो इस महिलाओं समेत क्षेत्र की युवा पीढ़ी भी देह व्यापार के इस दलदल में फंसता चला जाएगा।


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