इलाहाबाद हाईकोर्ट के एक महत्वपूर्ण आदेश के बाद महराजगंज में जितेंद्र साहनी के खिलाफ दर्ज धर्मांतरण मामले में कार्रवाई तेज होने की संभावना है। कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि ईसाई धर्म अपनाने के बाद अनुसूचित जाति (SC) का लाभ लेना संविधान के साथ छल है। इस मामले में जिलाधिकारी महराजगंज को 3 माह के भीतर पूरी जांच कर कानूनी कार्रवाई करने का निर्देश दिया गया है। जितेंद्र साहनी, जो सिंदुरिया थाना क्षेत्र के ग्राम मथानिया के निवासी हैं। दिसंबर 2023 में मतांतरण कराने और धार्मिक वैमनस्य फैलाने का मामला दर्ज किया गया था। यह एफआईआर 10 दिसंबर 2023 को मथनिया गांव के चौकीदार बाबूराम यादव ने सिंदुरिया थाने में दर्ज कराई थी। जितेंद्र के ईसाई पादरी होने की पुष्टि तहरीर के अनुसार, जितेंद्र साहनी पिछले डेढ़ साल से बलुवही धूष चौराहे पर पंडाल लगाकर ईसाई धर्म का प्रचार कर रहे थे। उन पर आरोप था कि वह अपने धर्म को श्रेष्ठ बताकर अन्य धर्मों को गलत ठहराते थे और हिंदू धार्मिक मान्यताओं का अपमान करते थे। जिससे गांव में तनाव फैल रहा था। 10 दिसंबर 2023 को दोपहर लगभग 3 बजे एक प्रार्थना सभा के दौरान उनके भाषण से लोगों की धार्मिक भावनाएं आहत हुईं। इसी आधार पर उनके खिलाफ मुकदमा पंजीकृत किया गया था। पुलिस जांच में भी जितेंद्र के ईसाई पादरी होने की पुष्टि हुई थी। जबकि उन्होंने हाईकोर्ट में खुद को हिंदू बताया था। हाईकोर्ट ने पूरे प्रदेश के जिलाधिकारियों को धर्म परिवर्तन कर चुके व्यक्तियों द्वारा एससी लाभ लेने की जांच करने का आदेश दिया है। जिसके बाद महराजगंज का यह मामला प्राथमिकता में आ गया है। हालांकि, साल 2023 में दर्ज मुकदमे में अपर सत्र न्यायाधीश पवन कुमार श्रीवास्तव की अदालत ने जितेंद्र को 12 जनवरी 2024 को सशर्त अग्रिम जमानत दे रखी है। जमानत लेते समय उन्होंने स्वयं को पिछड़ी जाति का बताया था।
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