अयोध्या में दो महिलाओं को जलाकर हत्या करने के मामले में बीस साल से फरार चल रहे दोषी त्रिभुवन सिंह को अदालत ने आजीवन कारावास की सजा सुनाई है। इसके साथ ही, उसे अन्य अपराधों में 23 साल की अतिरिक्त सजा और 1.10 लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया गया है। यह फैसला अपर सत्र न्यायाधीश एफटीसी प्रथम प्रदीप कुमार सिंह ने शुक्रवार को दोषी त्रिभुवन सिंह को जेल से तलब करने के बाद सुनाया। अभियोजन पक्ष के अनुसार, यह घटना वर्ष 1994 में थाना खण्डासा क्षेत्र के भखौली गांव में हुई थी। गांव की निवासी उर्मिला देवी पत्नी सहदेव सिंह ने थाने में रिपोर्ट दर्ज कराई थी। उन्होंने बताया था कि जमीन विवाद के चलते त्रिभुवन सिंह, अमर बहादुर सिंह, प्रदीप सिंह, बिरजू, विश्वनाथ, शिवा सिंह, करिया सहित कई लोगों ने लाठी-डंडों से हमला किया। प्रदीप सिंह ने घर के बाहर रखे छप्पर में मिट्टी का तेल डालकर आग लगा दी। इस आगजनी में घर के अंदर मौजूद दो महिलाएं, भानुमती और चंद्रावती, जलकर गंभीर रूप से घायल हो गईं और उनकी मौत हो गई। इस मामले में कुल 12 आरोपी नामजद किए गए थे। इनमें से दो अभियुक्तों, प्रदीप सिंह और कमलेश सिंह को वर्ष 2005 में ही आजीवन कारावास की सजा सुनाई जा चुकी है। वहीं, नौ अन्य आरोपियों को सबूतों के अभाव में अदालत ने बरी कर दिया था। न्यायाधीश ने दोषी त्रिभुवन सिंह को हत्या के अपराध में आजीवन कारावास और 50 हजार रुपये जुर्माना लगाया। छप्पर में आग लगाने के मामले में छह वर्ष का कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माना, आग में जलाकर जान से मारने का प्रयास के मामले में 10 वर्ष का कारावास और 20 हजार रुपये जुर्माना, खतरनाक हथियारों से हमला करने में तीन वर्ष का कारावास और 5 हजार रुपये जुर्माना, मारपीट करने के मामले में एक वर्ष का कारावास और 5 हजार रुपये जुर्माना, एक राय होकर हमला करने के मामले में एक वर्ष का कारावास और 5 हजार रुपये जुर्माना, तथा घातक हथियारों से लैस होकर दंगा करने के मामले में दो वर्ष का कारावास और पांच हजार रुपये जुर्माने की सजा सुनाई।
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