देवरिया में गोरखपुर रोड ओवरब्रिज के पास स्थित विवादित मजार और कब्रिस्तान की भूमि को राजस्व अभिलेखों में बंजर दर्ज कर दिया गया है। एएसडीएम न्यायालय के आदेश के बाद यह कार्रवाई हुई है। अभिलेख दुरुस्ती के आधार पर शुक्रवार को एसडीएम न्यायालय में एक वाद भी दाखिल किया गया है। यह भूमि फसली वर्ष 1399 की खतौनी में मूल रूप से बंजर के रूप में दर्ज थी। हालांकि, वर्ष 1992 में एडीएम वित्त एवं राजस्व तथा अपर वक्फ आयुक्त के न्यायालय से जारी एक संदिग्ध परवाने के आधार पर इसे कूटरचना कर मजार और कब्रिस्तान के नाम पर गलत तरीके से दर्ज कर दिया गया था। राजस्व विभाग की जांच में यह प्रविष्टि अवैध पाई गई। यह मामला जून माह में तब सुर्खियों में आया जब सदर विधायक डॉ. शलभ मणि त्रिपाठी ने विधानसभा में और मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मिलकर इस भूमि विवाद की शिकायत की। इसके बाद प्रशासन सक्रिय हुआ और अपर जिला शासकीय अधिवक्ता (राजस्व) जयदीप गुप्ता ने एसडीएम कोर्ट में अभिलेख दुरुस्ती का वाद दाखिल किया। सुनवाई के बाद एएसडीएम अवधेश निगम ने अपने आदेश में स्पष्ट किया कि मजार और कब्रिस्तान के नाम पर दर्ज प्रविष्टियाँ फर्जी और कूटरचित थीं। उन्होंने इन्हें तत्काल प्रभाव से निरस्त करते हुए भूमि को पुनः बंजर खाते में दर्ज करने का निर्देश दिया। इसके साथ ही, इस अवैध दर्जीकरण में शामिल व्यक्तियों, कर्मचारियों और संबंधित अधिकारियों के खिलाफ दंडात्मक कार्रवाई करने के भी निर्देश दिए गए। एएसडीएम के आदेश के अनुपालन में तहसील प्रशासन ने खतौनी में संशोधन कर दिया है। तहसीलदार सदर केके मिश्र ने बताया कि न्यायालय के आदेश के अनुसार खतौनी में आवश्यक परिवर्तन किए गए हैं। उन्होंने यह भी जानकारी दी कि इस प्रकरण में दोषी कर्मचारियों और अधिकारियों की सूची अंतिम चरण में है, और रिपोर्ट जल्द ही जिलाधिकारी को भेजी जाएगी।
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