मुजफ्फरनगर। इंडिगो एयरलाइंस में लगातार उड़ानें रद्द होने और किराए में भारी बढ़ोतरी के बाद उत्पन्न हुए संकट पर किसान नेता राकेश टिकैत ने केंद्र सरकार पर निशाना साधा है। उन्होंने इस स्थिति को सरकार की निजीकरण नीति का परिणाम बताया और आरोप लगाया कि जनता को योजनाबद्ध तरीके से लूटा जा रहा है। टिकैत ने दिल्ली से जयपुर के लिए 88 हजार रुपये के किराए पर सवाल उठाए। हाल के दिनों में इंडिगो की बड़ी संख्या में उड़ानें रद्द होने और टिकट दरों में अप्रत्याशित वृद्धि से यात्रियों में भारी नाराजगी है। भारतीय किसान यूनियन (भाकियू) के राष्ट्रीय प्रवक्ता राकेश टिकैत ने इस मुद्दे को उठाते हुए सोशल मीडिया पर एक वीडियो पोस्ट किया और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार को कटघरे में खड़ा किया। अपनी पोस्ट में राकेश टिकैत ने लिखा, “दिल्ली से जयपुर का किराया 88 हजार! यह सिर्फ इंडिगो का संकट नहीं, यह मोदी सरकार की निजीकरण नीति की सच्चाई है। हमने पहले ही चेताया था कि सब कुछ बेच दिया गया तो जनता लुटेगी। आज वही हो रहा है।” उन्होंने आगे कहा कि एयरलाइंस भी मुनाफाखोरी की भेंट चढ़ चुकी हैं और सरकार मूकदर्शक बनी बैठी है। किसान नेता ने यह भी जोड़ा कि किसान पहले ही खाद, बीज और डीजल की महंगाई से परेशान हैं, और अब आम आदमी की उड़ान भी उसकी पहुंच से दूर की जा रही है। उन्होंने इसे “खुली लूट” करार दिया। अपने आरोपों को पुख्ता करने के लिए राकेश टिकैत ने अंडमान निकोबार एयरपोर्ट से एक वीडियो भी साझा किया। वीडियो में वे एयरपोर्ट परिसर में खड़े होकर लगातार बिगड़ती उड़ान सेवाओं पर चिंता व्यक्त करते नजर आ रहे हैं। उन्होंने सरकार की ‘श्री अन्न योजना’ और एमएसपी के मुद्दे पर भी सरकार को घेरा। उन्होंने कहा कि 4 दिसंबर से लगातार इंडिगो जैसी सबसे बड़ी एयरलाइन कंपनी की फ्लाइटें बाधित हो रही हैं, जो किसी सोची-समझी साजिश का संकेत देती है। उन्होंने केंद्र सरकार से सवाल पूछा कि क्या यह संकट इंडिगो को अडानी समूह जैसे किसी बड़े कारपोरेट को बेचने की तैयारी का हिस्सा है? टिकैत ने कहा कि इस संकट ने देशभर के लाखों यात्रियों को प्रभावित किया है। उड़ानें रद्द होने का सिलसिला थमने का नाम नहीं ले रहा और इसका आर्थिक, सामाजिक और व्यावसायिक असर पूरे देश पर पड़ा है।उन्होंने यह बात भी उठाई कि इतने बड़े स्तर पर किसी प्रमुख एयरलाइन के डिस्टर्ब होने से कई सवाल खड़े होते हैं, जिनका जवाब सरकार को देना चाहिए। किसान नेता ने केंद्र सरकार से मांग की कि वह इस पूरे मामले पर स्पष्टता दे और बताए कि अचानक इंडिगो में यह संकट क्यों पैदा हुआ। साथ ही उन्होंने सरकार पर आरोप लगाया कि वह निजी कंपनियों को फायदा पहुंचाने के लिए आम जनता की समस्याओं को नजरअंदाज कर रही है। श्री अन्न खेती योजना बनी किसानों के लिए मुसीबत भाकियू प्रवक्ता राकेश टिकैत ने किसानों की समस्याओं को उठाते हुए कहा कि देश का किसान सरकार की श्री अन्न यानी मोटे अनाज की खेती को बढ़ावा देने की पहल को अपना रहा है, लेकिन इसके बदले उन्हें फायदा तो दूर भारी नुकसान उठाना पड़ रहा है। वर्तमान में कई राज्यों की थोक मंडियों में मक्का के दाम एमएसपी से लगभग आधे या उससे भी कम चल रहे हैं, जो मक्का की प्रति क्विंटल आने वाली लागत से भी काफी कम है। यह हाल प्रमुख मक्का उत्पादक राज्यों मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और राजस्थान के किसानों का है, जिन्हें उपज का वाजिब मूल्य यानी 2400 रुपये प्रति क्विंटल एमएसपी नहीं मिल रहा है। जीएम फसलों के आयात और एमएसपी पर सरकार को घेरा राकेश टिकैत ने कहा कि साथ ही पोल्ट्री इंडस्ट्री जीएम मक्का के आयात की मांग कर रही है। देश भर के किसान संगठन जीएम के विरुद्ध लगातार आंदोलन कर रहे हैं, यह किसानों की बबार्दी का आयात होगा। देश के सभी राज्यों में बाजार में फसल आते ही भाव एमएसपी से भी नीचे चला जाता है, इसीलिए देश का किसान गारंटी कानून की मांग कर रहा है। किसान आज सबसे बड़ा ठगा हुआ वर्ग है, इनको न एमएसपी मिलती है, न मंडी में फसल बिकती है। नमी का बहाना बनाकर धान लौटाया जा रहा है और बाहर बाजार में मजबूरी में 1650 रुपये में किसानों को अपनी फसल बेचनी पड़ रही है, जबकि लागत आसमान छू रही है। डीएपी 1800 रुपये में मिलती है, वह भी घंटों लाइन में लगने के बाद। खेती छोड़ने को मजबूर हो रहा किसान उन्होंने कहा कि इटावा का किसान अमित आज खेती छोड़कर पार्ट-टाइम नौकरी करने को मजबूर है। पांच एकड़ जमीन वाला किसान भी अब अपने परिवार को बचाने के लिए दोहरी जिंदगी जी रहा है। ये सिर्फ अमित की कहानी नहीं है, ये आज पूरे देश के किसान का दर्द है। सरकार अगर अब भी नहीं जागी, तो ये दर्द जल्द ही एक बड़ा आंदोलन बनेगा।
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