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तीन साल से चल रहा है हैंडपंप लगाने का खेल:कई हजार हैडपंप लग चुके, अधिकारियों को भनक तक नही लगी, सांथा तक फैला है तार

संतकबीरनगर जिले के मेंहदावल विकासखंड में पिछले तीन वर्षों से हजारों हैंडपंपों पर उर्दू में लिखे पत्थर लगाए जा रहे थे। अधिकारियों को इसकी भनक तक नहीं लगी। अब दैनिक भास्कर में खबर प्रकाशित होने के बाद चार गोपनीय जांच एजेंसियों ने मामले की जांच शुरू कर दी है। ग्रामीणों के अनुसार, यह सिलसिला छह महीने या एक साल से नहीं, बल्कि तीन वर्षों से चल रहा है। यह गतिविधि मेंहदावल से शुरू होकर अब सांथा विकासखंड तक फैल गई है, जहां भी बड़े पैमाने पर हैंडपंप लगाए गए हैं। मेंहदावल विकासखंड में गरीब तबके के घरों में ये हैंडपंप लगाए जा रहे थे, जिनके साथ उर्दू में लिखे पत्थर भी लगाए जाते थे। हालांकि, जब यह मामला सोशल मीडिया पर वायरल हुआ, तो कई जगहों पर उर्दू लिखे पत्थरों को हैंडपंप मालिकों को सौंप दिया गया, जिससे अब वे कम ही देखने को मिल रहे हैं। सबसे बड़ा सवाल यह है कि आखिर कौन सा विभाग, ट्रस्ट या संस्था इन हैंडपंपों को लगा रही है। हजारों की संख्या में हैंडपंप लगने के बावजूद किसी भी जिम्मेदार अधिकारी या विभाग को इसकी जानकारी नहीं थी। सांथा में भी पिछले दो वर्षों से अधिक समय से ऐसे हैंडपंप लगने की बात सामने आई है। सोशल मीडिया पर वॉट्सएप ग्रुप में एक सदस्य ने दावा किया कि इन हैंडपंपों को लगाने के लिए आधार कार्ड लिए जा रहे हैं, जिससे विदेशों में इनके दुरुपयोग की आशंका है। एक अन्य सदस्य ने एक ग्राम में प्रधान द्वारा अवैध फंडिंग की बात कही। सत्ता पक्ष के संगठन के जिलाध्यक्ष ने सांथा विकासखंड की एक ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान के भाई की संलिप्तता का भी आरोप लगाया है। अब संबंधित विभाग अपनी फाइलों को खंगाल रहे हैं ताकि यह पता चल सके कि उनके विभाग से ऐसी कोई योजना तो नहीं चल रही है। दैनिक भास्कर में खबर प्रकाशित होने के बाद चार गोपनीय और जांच एजेंसियों ने मामले की तह तक जाने के लिए अपनी जांच शुरू कर दी है। यह प्रमुख सवाल : सबसे बड़ा सवाल यह अहम हो जाता है कि आखिर इस हैंडपंप को कौन सा विभाग ट्रस्ट या संस्था लगवा रहा है। इसकी जानकारी हर कोई चाहता है। की ये पता चल सके कि ये कौन सी योजना चल रही।
मामला क्यों संवेदनशील है : पूरा मामला इसलिए संवेदनशील लग रहा कि इसमें कोई भी सरकारी विभाग यह काम नही करा रहा। और सबसे बड़ी बात यह कि इसमें उर्दू लिखे लगे पत्थर लग रहे। यह मामला सबसे बड़ा चर्चा में इस कारण है कि बीते 27 नवंबर को एक मीडिया रिपोर्ट ने एक खबर प्रकाशित किया। जिसमें उन्होंने जिक्र किया कि केंद्रीय एजेंसी ने फंडिंग की जानकारी दी है। इसलिए इसे हल्के में भी नही लिया जा सकता।
एसडीएम मेंहदावल संजीव राय ने कहा कि पूरे प्रकरण का डीएम साहब ने स्वयं संज्ञान लिया है संबंधित विभाग से पूरी रिपोर्ट मांगे है, जांच में अगर ऐसा कुछ गलत आता है तो कार्यवाही होगी


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