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डॉ. शाहीन के फिर खंगाले गए कानपुर के दस्तावेज:क्राइम ब्रांच की टीम आज भी मेडिकल कॉलेज में कर सकती जांच, नजदीकियों की कुंडली खंगाली

गणेश शंकर विद्यार्थी मेडिकल कॉलेज (GSVM), कानपुर में तैनात फिजियोथैरेपी विभाग की डॉ. शाहीन सईद पर कार्रवाई का दायरा लगातार बढ़ता जा रहा है। बुधवार शाम को क्राइम ब्रांच की दो सदस्यीय टीम मेडिकल कॉलेज पहुंची और विभाग में जमा अभिलेखों की लंबी जांच-पड़ताल की।
टीम ने विभागाध्यक्ष और शिक्षकों के साथ भी विस्तृत वार्ता की। दस्तावेज मौके पर जब्त करने की बजाएं, उनसे जुड़े बिंदुओं को नोट कर वापस लौट गई। एनजीओ से संबंधों पर भी सख्त निगरानी जांच एजेंसियों के निशाने पर अब डॉ. शाहीन के एनजीओ से जुड़े संपर्क भी हैं।सूत्रों के अनुसार, उनकी संस्था के जरिए कई पदाधिकारियों का मेडिकल कॉलेज के साथ संपर्क रहा है, जिनके विषय में अब विस्तृत रिपोर्ट तैयार की जा रही है।
क्राइम ब्रांच जानना चाहती है कि इन एनजीओ के साथ कॉलेज का क्या व्यवहार रहा और क्या किसी प्रकार के आर्थिक या पेशेवर लाभ जुड़े थे। नौकरी की प्रक्रिया खंगाल रही पुलिस डॉ. शाहीन कब और किन परिस्थितियों में मेडिकल कॉलेज से जुड़ीं, उनका चयन किस पद के लिए हुआ और समय के साथ जिम्मेदारियों में कैसे बदलाव आया—
इन सभी पहलुओं की विस्तृत फाइलें जांच टीम ने देखीं। यह भी पता लगाया जा रहा है कि उनकी नियुक्ति के समय किसने सिफारिश की और प्रशासन ने किन कागजात के आधार पर अनुमति दी। 2006 से अब तक के रिकॉर्ड की छानबीन जारी है। पुराने मामलों पर भी एजेंसियों की नजर डॉ. शाहीन पहले भी कई नियुक्तियों व गतिविधियों को लेकर विवादों में रही हैं।
टीम इस बात की जांच कर रही है कि जो आरोप पूर्व में लगे, वे कितने सही थे और कौन उनसे लाभान्वित हुआ। जांच एजेंसियों ने डॉ. शाहीन से पूछताछ के लिए सवालों का एक विस्तृत सेट तैयार कर लिया है। संभावना है कि उन्हें जल्द ही कानपुर या लखनऊ में बुलाया जा सकता है।
ये हो सकते है डॉ. शाहीन से सवाल
जांच एजेंसियों ये पूछ सकती है कि उन्होंने किन व्यक्तियों को अपने साथ जोड़ा?, एनजीओ के माध्यम से क्या-क्या गतिविधियां संचालित कीं?, क्या किसी बाहरी ?व्यक्ति को मेडिकल कॉलेज तक पहुंचा कर कोई लाभ दिलाया गया? जांच टीमें इस बात की भी पड़ताल कर रही हैं कि शाहीन के संपर्क से किस-किस ने फायदा उठाया और क्या बदले में उन्हें कोई सहयोग मिला। पुराने सहयोगियों पर भी उठ रहे सवाल सोशल नेटवर्किंग और फोन संपर्कों की गहन निगरानी शुरू हो चुकी है। कई पुराने साथी जांच के दायरे में आ चुके हैं। दिल्ली व अन्य शहरों में भी पुलिस टीमें सक्रिय हैं। मेडिकल कॉलेज प्रशासन ने भी अपने स्तर से जांच सेल को सक्रिय कर दिया है।
कई शिक्षकों और कर्मचारियों से तथ्य जुटाए जा रहे हैं। सभी विभागाध्यक्षों को भी सतर्क किया गया है कि यदि किसी प्रकार की संदिग्ध जानकारी हो तो तत्काल रिपोर्ट करें।


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