शामली के गेटवेल हॉस्पिटल की संचालिका डॉ. कविता गर्ग को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग ने 10 लाख 60 हजार रुपए का भारी जुर्माना लगाया है। आरोप है कि डॉक्टर ने गर्भस्थ शिशु की गलत अल्ट्रासाउंड रिपोर्ट दी, जिसके कारण परिवार को बच्चे की वास्तविक स्थिति का पता नहीं चल पाया। बच्ची के जन्म के बाद उसके एक हाथ का पंजा न होने पर मामला खुला। आयोग ने इसे गंभीर चिकित्सकीय लापरवाही मानते हुए डॉक्टर को ब्याज सहित धनराशि अदा करने का आदेश दिया है। तय समय में भुगतान न करने पर कानूनी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है। रिपोर्ट आई नॉर्मल,फिर भी जन्मा विकलांग बच्चा अनुज कुमार, निवासी हरड़ फतेहपुर (थानाभवन थाना क्षेत्र), अपनी पत्नी शालू को लेकर गर्भावस्था के दौरान कई बार जांच कराने गए थे। 9 अक्टूबर 2019 को बागपत के राजपूत अल्ट्रासाउंड सेंटर से पहली रिपोर्ट कराई गई। वहां भ्रूण की ग्रोथ नॉर्मल बताई गई। इसके बाद अनुज शालू को गेटवेल हॉस्पिटल में डॉ. कविता गर्ग के पास ले गए।डॉक्टर ने भी पहले की रिपोर्ट देखकर कहा कि भ्रूण पूरी तरह से सामान्य है, और तीन महीने बाद दोबारा अल्ट्रासाउंड करवाने की सलाह दी। 29 जनवरी 2020 को दोबारा गेटवेल हॉस्पिटल में जांच हुई, फिर भी सभी अंग सामान्य बताए गए।1 मार्च को भीड़ अधिक होने पर अनुज ने रविंद्र नर्सिंग होम में अल्ट्रासाउंड कराया, और यहां की रिपोर्ट में भी भ्रूण के सभी अंग सही बताए गए। बच्ची का एक हाथ नहीं था 2 मार्च 2020 को शालू ने गेटवेल हॉस्पिटल में बेटी को जन्म दिया। जन्म के कुछ ही मिनट बाद परिवार के पैरों तले जमीन खिसक गई। नवजात का एक हाथ का पंजा ही नहीं था। अनुज के मुताबिक, जब उन्होंने डॉक्टर से सवाल किया तो वह गुस्सा हो गईं और उन्हें केबिन से बाहर निकलवा दिया। परिवार उसी वक्त शालू को डिस्चार्ज कराकर घर ले आया। अनुज कुमार ने 15 सितंबर 2021 को जिला उपभोक्ता विवाद प्रतितोष आयोग में वाद दायर किया। उन्होंने आरोप लगाया कि लगातार गलत रिपोर्ट्स के कारण उन्हें जन्म से पहले बच्चे की स्थिति का पता नहीं चल सका, जबकि अल्ट्रासाउंड में ऐसे शारीरिक दोष स्पष्ट दिखाई देने चाहिए थे। साढ़े 9 लाख क्षतिपूर्ति, एक लाख दंड आयोग अध्यक्ष हेमंत कुमार गुप्ता और सदस्य अमरजीत कौर ने निर्णय में माना कि डॉक्टर ने लापरवाही व उपेक्षा बरती परिवार को मानसिक, शारीरिक व आर्थिक नुकसान हुआ बच्ची के हाथ की विकलांगता के कारण भविष्य में प्लास्टिक सर्जरी सहित खर्च का बोझ पड़ेगा आयोग ने आदेश दिया कि डॉ. कविता गर्ग 9.5 लाख रुपए क्षतिपूर्ति के रूप में जमा करें। 10 हजार रुपए परिवाद का व्यय दें।1 लाख रुपए चिकित्सकीय लापरवाही का अर्थदंड अदा करें। कुल 10 लाख 60 हजार रुपए ब्याज सहित 45 दिन के भीतर जमा करें। समय पर आदेश का पालन न करने पर डॉक्टर के खिलाफ उपभोक्ता संरक्षण अधिनियम की धारा 71 व 72 के तहत कार्रवाई की जाएगी। परिवार बोला-अगर सही रिपोर्ट मिल जाती, तो हम तैयार होते अनुज का कहना है, “हमने डॉक्टर पर भरोसा किया, कई बार जांच कराई, हर बार कहा गया कि बच्चा बिल्कुल सामान्य है। अगर हमें सही रिपोर्ट मिल जाती, तो हम शारीरिक-मानसिक रूप से तैयार रहते।” यह मामला एक बार फिर सवाल उठा रहा है कि निजी अस्पतालों में अल्ट्रासाउंड जांच की गुणवत्ता और चिकित्सकीय जवाबदेही पर सख्ती क्यों जरूरी है।
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