KGMU में मरीज के इलाज में लापवाही का मामला सामने आया है। आरोप है कि समुचित इलाज के अभाव में मरीज की दिवाली के दिन मौत हो गई थी। पीड़ित के बेटे ने शासन व कुलपति से शिकायत की है। शासन ने मामले की जांच कराने के आदेश दिए हैं। ये था पूरा मामला सीतापुर निवासी मीना को हॉर्निया की परेशानी थी। ओपीडी में दिखाया। बेटे अविनाश शुक्ला ने बताया कि 9 जून को मां को भर्ती करने के लिए तारीख दी गई थी। लेकिन अस्पताल ने उन्हें उस दिन भर्ती नहीं किया। करीब तीन महीने बाद 13 सितंबर में मां को भर्ती किया गया। जबकि कागजों में भर्ती की तारीख 9 जून ही दिखाई गई। 17 दिन बाद मीना का गैस्ट्रो सर्जरी विभाग में 30 सितंबर को ऑपरेशन किया गया। सर्जरी के बाद उन्हें पांच दिनों तक वेंटिलेटर पर रखा गया। पांच अक्टूबर को ट्रॉमा सेंटर के क्रिटिकल केयर मेडिसिन विभाग में रेफर कर दिया गया। यहां भी मरीज 15 दिनों तक वेंटिलेटर पर रहीं। बेटे का आरोप है कि मां को किडनी संबंधी परेशानी हो गई। डायलिसिस की जरूरत थी। आरोप हैं कि डॉक्टरों ने दीपावली का हवाला देते हुए डायलिसिस टाल दिया था। तबीयत गड़बड़ाने से 21 अक्टूबर को मां की सांसें थम गई। पीड़ित ने शासन में शिकायत की। जिसमें मृत्यु प्रमाण-पत्र में महिला को पुरुष कर दिया गया है। 20 नवम्बर को अनु सचिव ज्ञानेंद्र कुमार शुक्ला ने प्रकरण की जांच के आदेश दिए हैं।
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