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झांसी में पुलिस कस्टडी में युवक की निर्मम पिटाई:शरीर पर 23 चोट, कोर्ट के आदेश पर दरोगा और दो सिपाहियों पर FIR

झांसी में दरोगा और 2 सिपाहियों ने रेप के आरोपी को पुलिस कस्टडी में लेकर निर्मम पिटाई कर दी। उसके शरीर पर 23 चोट आई। दरोगा में पुलिस कस्टडी में एक्सीडेंट होने से चोट आने का हवाला देते हुए आरोपी को जेल पहुंचा दिया। इसके खिलाफ आरोपी ने अपने वकील के माध्यम से कोर्ट में प्रार्थना पत्र दिया। कोर्ट के आदेश पर मेडिकल जांच हुई। इसके बाद कोर्ट ने FIR दर्ज करने के आदेश दिए। नवाबाद थाना पुलिस ने ककरबई थाने के दरोगा अशोक कुमार, सिपाही आकाश सिंह, महिला सिपाही प्रीति विश्वकर्मा समेत पीड़िता के अज्ञात परिजनों के खिलाफ बीएनएस की गंभीर धाराओं में रिपोर्ट दर्ज की गई है। 16 सितंबर को दिल्ली में पकड़ा था विशेष न्यायाधीश पॉक्सो कोर्ट के पेशकार की ओर से दी गई तहरीर में बताया गया कि आरोपी पन्ना निवासी लोकपाल सिंह पुत्र गोपाल सिंह के खिलाफ ककरबई थाने में युवती को अगवा कर रेप करने के आरोप में रिपोर्ट दर्ज हुई थी। विवेचक दरोगा अशोक सिंह ने दो सिपाहियों के साथ दिल्ली के आजाद नगर चौराहा से 16 सितंबर रात 10:30 बजे आरोपी की गिरफ्तारी दिखाई, लेकिन जब लोकपाल को लाया गया। तब वह बुरी तरह घायल था। बुरी तरह से मारपीट होने से वह चल भी नहीं पा रहा था। उसके आगे के दो दांत टूटे थे। जगह-जगह उसके शरीर में जले के निशान थे। मेडिकल परीक्षण कराने पर शरीर में 23 चोट मिली। सभी पक्षों को सुनने के बाद कोर्ट ने इसे बेहद गंभीरता से लेते हुए 15 नवंबर को विवेचक दरोगा समेत दोनों सिपाही एवं पीड़िता के अज्ञात परिजनों के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने के आदेश दिए थे। पुलिस ने चोटों की ये कहानी बनाई इस पूरे मामले में पुलिस अपनी गढ़ी हुई कहानी में ही उलझ गई। कोर्ट के सामने विवेचक अशोक कुमार ने बताया कि आरोपी को बुंदेलखंड एक्सप्रेस-वे के रास्ते लाया जा रहा था। लघुशंका आने पर लोकपाल को सुरक्षा के साथ वाहन से नीचे उतारा गया। उसी दौरान अचानक दो ट्रक आ गए। इस वजह से सभी पुलिसकर्मी समेत लोकपाल सड़क पर गिर गए। इससे लोकपाल को चोट आ गई। घायल लोकपाल को उपचार के लिए मेडिकल कॉलेज लेकर आए। इसके बाद उसे जेल में दाखिल कर दिया लेकिन कोर्ट में जिहर के दौरान पुलिस की यह कहानी टिक नहीं सकी। कोर्ट ने विवेचक से पूछा कि आखिर किस तरह हादसा हुआ कि एक आदमी को शरीर में 23 गंभीर चोट आई जबकि साथ में मौजूद किसी पुलिसकर्मी को खरोंच तक नहीं आई। पुलिस कर्मी अस्पताल में उपचार कराने संबंधी कागज भी नहीं दिखा सके। कोर्ट ने पूछा कि जिसके शरीर में गंभीर 23 चोट थी उसे अस्पताल में भर्ती क्यूं नहीं कराया। इसका भी जवाब विवेचक समेत पुलिसकर्मी नहीं दे सके। छानबीन में यह तथ्य प्रकाश में आया कि लोकपाल की गिरफ्तारी के समय पीड़िता के परिजन प्राइवेट कार से दिल्ली में मौजूद थे। रास्ते में पीड़िता के परिजनों ने पुलिसकर्मियों के साथ मिलकर बुरी तरह पीटा। अंगुलियों के बीच रॉड गर्म करके जलाया गया। कोर्ट ने पुलिस अभिरक्षा में निर्मम पिटाई को अत्यंत गंभीर माना।


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