सिद्धार्थनगर जिले का स्वास्थ्य विभाग एक बार फिर गंभीर आरोपों के घेरे में आ गया है। इटवा क्षेत्र स्थित लाइफ केयर हॉस्पिटल के पंजीकरण को लेकर एक बड़ा मामला सामने आया है। अयोध्या निवासी चिकित्सक डॉ. मोहम्मद जावेद खान ने आरोप लगाया है कि उनके नाम और वैध मेडिकल रजिस्ट्रेशन नंबर का उपयोग कर फर्जी दस्तावेज तैयार किए गए। उन्हीं के आधार पर अस्पताल का पंजीकरण कराया गया, जबकि वे कभी सिद्धार्थनगर आए ही नहीं। एमबीबीएस और एमडी (एनेस्थीसिया) डॉ. मोहम्मद जावेद खान ने मंडलायुक्त बस्ती मंडल और जिलाधिकारी सिद्धार्थनगर को एक प्रार्थना-पत्र दिया है। इसमें उन्होंने स्पष्ट किया है कि उनका लाइफ केयर हॉस्पिटल, इटवा से कोई संबंध नहीं है। उन्होंने न तो कभी वहां काम किया और न ही किसी प्रकार की सहमति दी। इसके बावजूद उनके नाम से अस्पताल का पंजीकरण होना स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली पर सवाल खड़े करता है। शिकायत के अनुसार, लाइफ केयर हॉस्पिटल के संचालक ने कथित तौर पर फर्जी कागजात तैयार कर स्वास्थ्य विभाग में प्रस्तुत किए। आरोप है कि विभागीय अधिकारियों और कर्मचारियों ने इन कागजातों को बिना समुचित जांच-पड़ताल के स्वीकार कर लिया। न तो डॉक्टर की वास्तविक तैनाती का सत्यापन किया गया और न ही यह सुनिश्चित किया गया कि संबंधित चिकित्सक कभी जिले में रहा भी है या नहीं। इस मामले में तत्कालीन मुख्य चिकित्सा अधिकारी सिद्धार्थनगर डॉ. रजत चौरसिया, नोडल अधिकारी डॉ. प्रमोद कुमार पटेल और पटल सहायक महेंद्र कुमार की भूमिका पर सीधे सवाल उठाए गए हैं। शिकायतकर्ता का कहना है कि इन अधिकारियों और कर्मचारियों की सक्रिय भूमिका के बिना इस तरह का फर्जी पंजीकरण संभव नहीं था। नियमों के अनुसार, अस्पताल पंजीकरण से पहले भौतिक सत्यापन अनिवार्य है, लेकिन इस प्रकरण में सत्यापन की प्रक्रिया केवल कागजों तक सीमित रही। डॉ. जावेद खान का कहना है कि यह मामला केवल उनके नाम के दुरुपयोग तक सीमित नहीं है। बल्कि यह स्वास्थ्य विभाग में चल रही उस व्यवस्था को उजागर करता है, जहां अस्पतालों का पंजीकरण केवल कागजी औपचारिकता बनकर रह गया है। यह स्थिति मरीजों की सुरक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं की गुणवत्ता पर गंभीर प्रश्नचिह्न लगाती है।
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