बलिया में नगर पालिका अध्यक्ष और जिला प्रशासन के बीच गतिरोध जारी है। इस विवाद के कारण नगर पालिका के कर्मचारी वेतन भुगतान की मांग को लेकर हड़ताल पर हैं, जिससे शहर में जगह-जगह कूड़े का ढेर लग गया है और जनता को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है। दोनों पक्ष एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। जिला प्रशासन का कहना है कि अध्यक्ष की कोई शक्ति जब्त नहीं की गई है, जबकि नगर पालिका अध्यक्ष संत कुमार उर्फ मिठईलाल का दावा है कि उन्हें शक्तियों के सीज होने संबंधी नोटिस दिया गया था। अध्यक्ष संत कुमार ने मीडिया से बात करते हुए बताया कि 28 अक्टूबर को उनके आवास पर प्रशासन द्वारा एक नोटिस चस्पा किया गया था। इस नोटिस में स्पष्ट रूप से लिखा था कि उनकी वित्तीय और प्रशासनिक शक्तियों के निष्पादन पर रोक क्यों न लगाई जाए, जब तक कि उन्हें आरोपों से मुक्त न कर दिया जाए। उन्होंने इस मामले को लेकर उच्च न्यायालय का रुख किया है। अध्यक्ष ने एक वीडियो का भी जिक्र किया, जिसमें सीआरओ नगर पालिका परिषद की पानी टंकी पर कर्मचारियों के बीच यह कहते हुए दिखाई दे रहे हैं कि नगर पालिका अध्यक्ष की कोई शक्ति जब्त नहीं की गई है। अध्यक्ष ने इस बयान को भ्रामक बताया। अध्यक्ष ने जिला प्रशासन को इस स्थिति के लिए पूरी तरह दोषी ठहराया। उन्होंने कहा कि उन्होंने 18 नवंबर को ही जिलाधिकारी, सीआरओ और अन्य उच्चाधिकारियों को पत्र लिखकर मार्गदर्शन मांगा था कि क्या उन्हें वेतन और अन्य कार्यों को संपादित करने का अधिकार है। हालांकि, उन्हें जिलाधिकारी से कोई लिखित मार्गदर्शन प्राप्त नहीं हुआ। अध्यक्ष ने कहा कि आज सीआरओ को नगर पालिका कर्मियों की चिंता हो रही है, जबकि यदि यह ध्यान एक सप्ताह पहले दिया गया होता तो शहर की स्थिति इतनी खराब नहीं होती। उन्होंने आगे कहा कि आज हमारे नगर पालिका कर्मियों का ध्यान सीआरओ को आ रहा है। यह ध्यान एक सप्ताह पूर्व ही आ गया होता तो हमारे नगर की स्थिति यह नहीं होती। मैं स्पष्ट रूप से कहना चाहता हूं कि जब मेरा पावर सीज किया गया तो मैं कुछ नहीं बोला। मेरे आवास पर मेरे तथा मेरे परिवार के सदस्यों पर प्रशासनिक दबाव बनाया गया तो भी मैं मौन रहा। लेकिन मेरे नगर पालिका परिवार तथा कर्मचारी भाइयों पर कल से ही जिस प्रकार पुलिसिया और प्रशासनिक दबाव बनाया जा रहा है। जो मुझे तथा नगर की जनता को कतई बर्दाश्त नहीं होगा। क्योंकि उनके द्वारा किसी गलत मांग के लिए हड़ताल नहीं किया जा रहा है। उनका हक उनको मिलना चाहिए। चेयरमैन ने कहा कि नगर पालिका के अधिवक्ता को ईओ के एकल हस्ताक्षर से क्यों हटाया गया? सीआरओ तथा ईओ के संयुक्त हस्ताक्षर से ददरी मेला का कार्य क्यों किया जा रहा है? अगर मेरा पावर सीज नहीं है तो डीएम, सीआरओ तथा अन्य उच्चाधिकारियों से मेरे द्वारा लिखित रूप से मांगे गये मार्गदर्शन का जबाब लिखित रूप से क्यों नहीं दिया जा रहा है?
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