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चित्रकूट में 17-20 दिसंबर तक 151 कुंडीय गायत्री महायज्ञ:माताजी की जन्म शताब्दी पर होगा विराट आयोजन

चित्रकूट में युगद्रष्टा वेदमूर्ति तपोनिष्ठ पं. श्रीराम शर्मा आचार्य द्वारा मानवता के उज्ज्वल भविष्य के लिए रचित ‘युग निर्माण योजना’ आज गायत्री परिवार के रूप में विश्वव्यापी जनआंदोलन बन चुकी है। 21वीं सदी को सशक्त और संस्कारित बनाने का यह संकल्प 20 करोड़ से अधिक परिजनों के समर्पण से साकार हो रहा है। इसी आध्यात्मिक चेतना की साक्षी भगवान श्रीराम की तपोभूमि चित्रकूट धाम रही है। अप्रैल 1994 में चित्रकूट में आयोजित 16वां विराट अश्वमेध महायज्ञ ऐतिहासिक रहा था, जिसमें 25 लाख से अधिक श्रद्धालुओं ने सहभागिता की। इसी आयोजन में परम वंदनीया माता भगवती देवी शर्मा (शैल दीदी) की भावुक घोषणा के बाद चित्रकूट को गायत्री परिवार का पितृ-तीर्थ घोषित किया गया। माताजी की जन्म शताब्दी वर्ष में विशेष आयोजन वर्तमान वर्ष अखिल विश्व गायत्री परिवार की संस्थापिका परम वंदनीया माताजी की जन्म शताब्दी का वर्ष है। इसी क्रम में देश-विदेश में श्रद्धांजलि कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं। इसी कड़ी में गायत्री शक्तिपीठ चित्रकूट में श्रद्धा संवर्धन विराट 151 कुंडीय गायत्री महायज्ञ का आयोजन 17 से 20 दिसंबर 2025 तक किया जा रहा है। आयोजकों के अनुसार यह स्थल पूज्य गुरुदेव की दिव्य उपस्थिति में प्राण-प्रतिष्ठित होने के कारण विशिष्ट शक्ति केंद्र माना जाता है। प्रथम दिवस: 17 दिसंबर – विराट कलश यात्रा पहले दिन प्रातः 10 बजे विराट कलश यात्रा निकाली जाएगी। 25 आकर्षक झांकियां, संतों के ध्वज-निशान, विद्यालयी घोष दल, हाथी-घोड़े और भव्य कलशों के साथ यह यात्रा नगर में युग संदेश का प्रसार करेगी। द्वितीय दिवस: 18 दिसंबर – देश आवाहन हवन दूसरे दिन प्रातः 8 बजे से 151 कुंडीय यज्ञशाला में देश आवाहन हवन होगा। अपराह्न 3 बजे से युग संदेश गीत-संगीत एवं अतिथियों के बौद्धिक उद्बोधन आयोजित किए जाएंगे। तृतीय दिवस: 19 दिसंबर – संस्कार और मुख्य उद्बोधन तीसरे दिन प्रातः संस्कार कार्यक्रम (उपनयन आदि) तथा 24 हजार वेदीय दीप महायज्ञ संपन्न होगा। सायं 3 बजे युग संगीत के साथ मुख्य उद्बोधन डॉ. चिन्मय पंड्या (युवा प्रमुख, अखिल विश्व गायत्री परिवार) देंगे। इस अवसर पर संत-महात्मा, मंत्री और जनप्रतिनिधियों की उपस्थिति रहेगी। चतुर्थ दिवस: 20 दिसंबर – पूर्णाहुति और सम्मान अंतिम दिन प्रातः हवन के साथ पूर्णाहुति होगी। दोपहर 1 बजे शांतिकुंज के संतों की विदाई और कार्यकर्ता सम्मान समारोह आयोजित किया जाएगा।


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