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चित्रकूट में 151 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ की तैयारी:16वें अश्वमेधिक आयोजन की रणनीति बनी, देशभर से आएंगे संत-विभूतियां

चित्रकूट की पवित्र तपोभूमि गायत्री शक्तिपीठ में 151 कुण्डीय गायत्री महायज्ञ की तैयारियों को लेकर सोमवार को एक महत्वपूर्ण बैठक हुई। इस विराट आयोजन को 16वें अश्वमेधिक यज्ञ के रूप में देखा जा रहा है। बैठक में सभी समितियों के प्रमुखों ने अपनी तैयारियों का खाका प्रस्तुत किया। डॉ. रामनारायण त्रिपाठी ने इस अवसर पर कहा कि प्रभु श्रीराम की धरती पर 16वां अश्वमेधिक आयोजन होना गौरव का क्षण है। उन्होंने बालखिल्य ऋषियों की तपस्थली पर यज्ञ की आहुति देने को जीवन का सौभाग्य बताया। उन्होंने सभी दायित्व धारकों को अपनी व्यवस्थाओं की समीक्षा कर उन्हें बेहतर बनाने की सलाह दी। डॉ. रामनारायण त्रिपाठी ने बताया कि देशभर से बड़े संत, विचारक और राष्ट्रसेवी इस आयोजन में शामिल होंगे। उन्होंने जोर दिया कि यह केवल एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि राष्ट्रकल्याण का महायज्ञ है। कार्यक्रम में अखिल विश्व गायत्री परिवार के युवा प्रमुख एवं देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार के प्रति कुलपति डॉ. चिन्मय पंड्या, प्रचारक प्रमुख स्वान्त रंजन, आरएसएस के सह सरकार्यवाह डॉ. कृष्ण गोपाल, अरुण जी, क्षेत्र प्रचारक अनिल जी और वरिष्ठ प्रचारक अविनाश जी सहित कई राष्ट्रीय हस्तियां अलग-अलग दिनों में शिरकत करेंगी। देश के कई मंत्री, जनप्रतिनिधि और विभिन्न क्षेत्रों की विभूतियां भी इस कार्यक्रम में शामिल होंगी। महायज्ञ का आरंभ 17 दिसंबर को एक विशाल कलश यात्रा के साथ होगा। इस यात्रा में संतों के अखाड़ों के निशान, 25 से अधिक झांकियां, विभिन्न विद्यालयों के दल, हाथी और घोड़े शामिल होंगे। यह यात्रा सनातन धर्म का भव्य दिग्दर्शन कराएगी। 18 दिसंबर को प्रातः 8 बजे देव आवाहन के साथ यज्ञ प्रारंभ होगा। शाम को सत्संग, प्रवचन और सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा, जिसमें प्रमुख अतिथियों के उद्बोधन भी होंगे। 19 दिसंबर को प्रातः यज्ञ और विविध संस्कार संपन्न होंगे। शाम को एक आकर्षक दीप महायज्ञ का आयोजन किया जाएगा। इस दिन डॉ. चिन्मय पंड्या वंदनीया माताजी की जन्म शताब्दी पर मार्गदर्शन देंगे। महायज्ञ की महापूर्णाहुति 20 दिसंबर को प्रातः 8 बजे होगी। इसी दिन वैवाहिक संस्कार भी संपन्न कराए जाएंगे, जिसमें इच्छुक जोड़े शामिल हो सकते हैं। आयोजकों ने बताया कि गायत्री परिवार का यह यज्ञ समरसता, लोक-जागरण और मानव कल्याण के उद्देश्य से आयोजित किया जाता है। इसमें धर्म, वर्ण, जाति या वर्ग का कोई भेद नहीं होता, बल्कि गरीब से अमीर तक हर व्यक्ति सहभागी होता है।


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