गोंडा मेडिकल कॉलेज में सर्वे ऑफ इंडिया के रिटायर्ड कर्मचारी 75 वर्षीय स्वामीनाथ की इमरजेंसी वार्ड में इलाज के दौरान मौत हो गई। बेटे संतोष ने कर्मचारियों और डॉक्टरों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। संतोष के अनुसार, उनके पिता को सांस लेने में दिक्कत हो रही थी, जिसके बाद वह उन्हें इमरजेंसी वार्ड लेकर पहुंचे। वार्ड में मौजूद कर्मचारियों ने ऑक्सीजन देने और वीगो लगाने के बजाय हंसी-ठिठोली शुरू कर दी। संतोष ने बताया कि उन्होंने बार-बार अनुरोध किया, फिर भी कर्मचारियों ने समय पर ध्यान नहीं दिया। काफी कहने के बाद जब ऑक्सीजन नहीं लगाया गया। इसी दौरान उनके पिता की मौत हो गई। बेटी ने भी इमरजेंसी वार्ड में तैनात कर्मचारियों और डॉक्टर पर गंभीर लापरवाही के आरोप लगाते हुए कार्रवाई की मांग की है। पिता की मौत के बाद संतोष और कर्मचारियों के बीच नोकझोंक भी हुई। स्वामीनाथ काफी समय से सांस के मरीज थे। परिजन गोंडा में इलाज करवा रहे थे। परिवार का कहना है कि वह दिन में बिल्कुल सामान्य थे। बैंक गए, पैसा निकाला और जूस भी पिया। लेकिन शाम को अचानक सांस लेने में दिक्कत हुई तो उन्हें तुरंत मेडिकल कॉलेज लाया गया। यहां लापरवाही के कारण उनकी मौत हो गई। पीड़ित बेटे संतोष सिंह ने आरोप लगाया कि डॉक्टर डीएन सिंह ने उनके पिता को देखा भी था, लेकिन इमरजेंसी में मौजूद 5–6 युवक ठीक से वीगो नहीं लगा पा रहे थे। कोई कह रहा था कि ‘नस नहीं मिल रही’, तो कोई ‘एक्सपीरिमेंट’ जैसा व्यवहार कर रहा था। जब उन्होंने आपत्ति जताई, तो उनके साथ गाली-गलौज की गई। संतोष का कहना है कि उनके पिता की गंभीर हालत के बावजूद उन्हें समय पर एडमिट नहीं किया गया। उन्होंने बताया कि पिता की मौत हो चुकी थी, लेकिन कर्मचारियों ने उन्हें मौत के बाद इमरजेंसी वार्ड में भेजने का प्रयास किया। मेडिकल कॉलेज की प्रधानाचार्य से संपर्क करने की कोशिश की गई, लेकिन बातचीत नहीं हो सकी। वहीं, मेडिकल कॉलेज के प्रमुख चिकित्सा अधीक्षक का कहना है कि डॉक्टर और कर्मचारियों ने पूरी कोशिश की और इलाज के दौरान ही मरीज की हालत ज्यादा बिगड़ने से मौत हुई है। उन्होंने कहा कि यदि परिजन लापरवाही का आरोप लगा रहे हैं, तो मामले की जांच कराई जाएगी।
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