गोंडा के पूर्व नगर पालिका अध्यक्ष निर्मल श्रीवास्तव उर्फ रूपेश ने 21 साल पुराने एक गंभीर मामले में आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट (CJM) अमित सिंह की अदालत में आत्मसमर्पण कर दिया। आगजनी, बलवा (दंगा) और उपद्रव भड़काने के मामले में कोर्ट में लगातार अनुपस्थित रहने के कारण न्यायालय ने उन्हें भगोड़ा घोषित कर दिया था। आत्मसमर्पण के बाद मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट ने तत्काल उन्हें न्यायिक हिरासत में लेकर जेल भेज दिया है। यह मामला करीब दो दशक 21 साल पुराना है, जिसमें निर्मल श्रीवास्तव पर आगजनी, उपद्रव और दंगा भड़काने समेत कई गंभीर आरोप दर्ज हैं। केस की सुनवाई के दौरान कई बार तलब किए जाने के बावजूद पूर्व चेयरमैन अदालत में हाजिर नहीं हुए थे। उनकी लगातार गैर-हाजिरी को गंभीरता से लेते हुए, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट अमित सिंह ने पूर्व चेयरमैन को भगोड़ा घोषित कर दिया था, जिसके बाद पुलिस उनकी गिरफ्तारी के लिए प्रयास कर रही थी। न्यायालय ने पहले उनके खिलाफ गैर-जमानती वारंट (NBW) जारी किया था। जब वारंट का तामील नहीं हो सका, तो अदालत ने कड़ा रुख अपनाते हुए निर्मल श्रीवास्तव की चल-अचल संपत्ति कुर्क करने का आदेश भी जारी कर दिया था। इसके अतिरिक्त, कोर्ट ने गोंडा के पुलिस अधीक्षक (SP) को भी व्यक्तिगत रूप से इस नोटिस का पालन कराने और पूर्व चेयरमैन को अदालत में पेश करने का निर्देश दिया था। पुलिस की लगातार बढ़ती सक्रियता और संपत्ति कुर्की के आदेश के दबाव के चलते निर्मल श्रीवास्तव ने आज मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट के समक्ष एक प्रार्थना पत्र देकर आत्मसमर्पण किया। गोंडा की नगर कोतवाली पुलिस भी पूर्व चेयरमैन को गिरफ्तार करने के लिए लगातार दबिश दे रही थी, लेकिन पुलिस के पकड़ने से पहले ही उन्होंने कोर्ट में हाजिर होना उचित समझा। जेल भेजे जाने से पहले, निर्मल श्रीवास्तव ने कोर्ट से अनुरोध किया कि उन्हें न्यायिक हिरासत के दौरान अतिरिक्त सुरक्षा प्रदान की जाए। अब 21 साल पुराने इस मामले में आगे की कानूनी कार्रवाई जेल भेजे जाने के बाद शुरू होगी और कोर्ट द्वारा तय की जाएगी।
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