गुरुओं का जीवन मानवता के लिए समर्पित किया और अत्याचार से लड़ते हुए उन्होंने अपना बलिदान दे दिया। गुरुओं के दिखाए मार्ग पर चलते हुए सिख समाज के लोग आज इसी सोच को आगे बढ़ा रहे हैं। कानपुर में होने वाले कार्यक्रम में पंजाब और दिल्ली तक से दुकानदार आते हैं। मोतीझील में यह सिख समाज से जुड़े धार्मिक चिन्हों और चीजों की बिक्री करते हैं। तीन दिन तक यह कानपुर में ही रहते हैं और दुकान चलाने के साथ ही गुरुपर्व में होने वाले कार्यक्रम में अपना सहयोग करते हैं। इसके बाद इन्हें जो भी आय होती है, उसका एक हिस्सा दान करके लोगों को भी समानता और सहयोग का संदेश देते हैं। समानता और एकता का संदेश सिखों के दस गुरुओं ने समाज में एकता, समानता और समरूपता का संदेश दिया। मुगल शासकों से लड़ते हुए उन्होंने मानवता की रक्षा की और हंसते हुए अपने प्राण न्यौछावर कर दिए। यही संदेश उन्होंने समाज को दिया कि हर एक वर्ग को अपने साथ लेकर आगे बढ़ो। अत्याचार के खिलाफ हमेशा खड़े रहो और आपसी सहयोग की भावना से समाज को आगे बढ़ाओ। इसी संदेश को लेकर आज सिख समाज के लोग लगातार आगे बढ़ रहे हैं, और लोगों को भी यही संदेश दे रहे हैं। गुरुपर्व में जहां हजारों सेवादार अपनी सेवाएं दे रहे हैं, वहीं दूसरी ओर अन्य राज्यों से आने वाले लोग भी खुद को समर्पित करके गुरु के कथनों पर खुद को खरा साबित करने में जुटे हैं। यह बोले, दूसरे राज्यों से आए दुकानदार पंजाब से हर साल आते हैं कानपुर पंजाब के होशियारपुर से आए कोमल सिंह ने बताया कि वह पिछले 15 सालों से लगातार गुरुपर्व के दौरान कानपुर आ रहे हैं। यहां पर वह धार्मिक चिन्हों की दुकान लगाते हैं और बचे हुए समय में अपनी सेवाएं देते हैं। अपनी आय का एक हिस्सा वह गुरुद्वारे में दान भी करते हैं। आय का 10 प्रतिशत करते हैं दान गुरुपर्व में लेडीज समान की दुकान चलाने वाले बलवीर सिंह ने बताया कि वह हर साल दिल्ली से कानपुर आते हैं। यहां आकर वह गुरुद्वारे में अपनी सेवाएं देते हैं और दुकान भी चलाते हैं। उन्हें जो भी आय होती है, उसका 10 प्रतिशत गुरुद्वारे और लंगर के लिए दान करते हैं।
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