गाजियाबाद के जिला कारागार में भारतीय दंड संहिता की धारा 307 के तहत दर्ज मामले में बंद 23 वर्षीय राहुल उर्फ परी की देर रात संदिग्ध परिस्थितियों में मौत हो गई। राहुल मई 2025 से जेल में बंद था। परिवार ने उसकी मौत पर जेल प्रशासन की कार्यप्रणाली पर गंभीर सवाल उठाए हैं। राहुल की मां बबिता ने बताया कि उन्हें देर रात फोन पर राहुल द्वारा फांसी लगाने की सूचना दी गई। बबिता ने इस बात पर अविश्वास व्यक्त किया, क्योंकि राहुल की जमानत होने वाली थी और वह सोमवार तक घर आने वाला था। उन्होंने कहा, “मेरे बेटे की बेल हो गई थी। वह जल्द घर आने वाला था। उसका वकील भी कल ही उससे मिलकर आया था और उसने बताया कि राहुल बिल्कुल ठीक है।” बबिता ने मामले की निष्पक्ष जांच की मांग की। राहुल के चाचा ने भी घटना पर सवाल उठाते हुए कहा कि अगर राहुल को आत्महत्या करनी होती तो वह पहले भी ऐसा कर सकता था। उन्होंने बताया कि राहुल इससे पहले भी डेढ़ साल से ज्यादा जेल में रह चुका है, लेकिन तब उसने कभी ऐसा कदम नहीं उठाया। परिवार का कहना है कि राहुल न तो मानसिक रूप से परेशान था और न ही किसी गंभीर बीमारी से जूझ रहा था। दूसरी ओर, जेल प्रशासन का कहना है कि राहुल कुछ समय से बीमार था, जिसके कारण उसका मानसिक संतुलन प्रभावित था। जेल अधीक्षक सीताराम शर्मा ने बताया कि राहुल धारा 307 के मामले में बंद था और उसकी सामान्य बीमारी का इलाज भी चल रहा था। उन्होंने कहा कि मौत के सही कारण का पता पोस्टमार्टम रिपोर्ट आने के बाद चलेगा। प्रशासन ने फांसी लगाने की घटना की पुष्टि नहीं की है। परिवार लगातार इस मामले की निष्पक्ष जांच की मांग कर रहा है। पुलिस और जेल प्रशासन दोनों ही स्तर पर इस घटना की जांच शुरू कर दी गई है।
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