शहर के मेडिकल जगत में सुर्खियों में आए डॉ. मोहम्मद आरिफ के बारे में अब उनके आस-पास रहने वाले और साथ काम करने वाले लोग अपनी प्रतिक्रियाएं दे रहे हैं।नहर किसी की जुबान पर एक ही बात है “वो न बोलता था, न किसी से उलझता था, बस काम से मतलब रखता था।” दिल्ली में बम ब्लास्ट मामले में कानपुर से डॉ. शाहीन के बाद अब कार्डियोलॉजी कानपुर के DM प्रथम वर्ष के छात्र डॉ. आरिफ को बुधवार रात एसटीएफ ने उठाया और पूछताछ के लिए दिल्ली ले गई। ओला बाइक से आता-जाता था, सादगी से भरा जीवन डॉ. आरिफ के पड़ोसी और मकान मालिक कन्हैया लाल ने बताया, “वो रोजाना सुबह ओला बाइक से अस्पताल जाता था और शाम को लौट आता था। किसी से दुआ-सलाम तक नहीं करता था। लोगों ने बस उसे आते-जाते देखा है, बात किसी से नहीं करता था।” उन्होंने कहा कि आरिफ उनके मकान में महज एक महीने से भी कम समय से रह रहा था। इतना कम वक्त रहा कि उसे समझ भी नहीं पाया। शांत और सीधा व्यक्ति लगा। रूम पार्टनर बोला-मैं खाना बनाता था तो खा लेता था फ्लैट में उसके साथ रहने वाले डॉ. अभिषेक ने बताया, “वो अपने कमरे में ही रहता था, मैं अपने में। अगर मैं खाना बनाता था तो कभी-कभी खा लेता था, नहीं तो अस्पताल चला जाता था। ना दोस्तों का ग्रुप, ना कोई नजदीकी और न ही किसी से कभी उलझना।” डॉ. अभिषेक के मुताबिक, “कभी भी किसी तरह की हलचल या संदिग्ध गतिविधि नहीं दिखी। डॉ. आरिफ बस काम से मतलब रखने वाला व्यक्ति था।” एचओडी बोले-बहुत सीधा और सरल स्वभाव का था कार्डियोलॉजी विभाग के एचओडी डॉ. उमेश्वर पांडेय ने कहा, “डॉ. आरिफ बहुत ही सीधा और विनम्र स्वभाव का था। विभाग में कभी किसी से ऊंची आवाज में बात तक नहीं की। अब जो बातें सामने आ रही हैं, उन पर यकीन करना मुश्किल है। हकीकत क्या है, ये तो जांच के बाद ही साफ होगा।” सबको मिला ‘साइलेंट डॉक्टर’ जो भी उसे जानता था, वही कहता है-आरिफ काम के वक्त डॉक्टर और बाकी समय अपने में खोया एक आम इंसान था। ना सोशल ग्रुप, ना दोस्तों की मंडली, ना किसी से बहस, बस साइलेंट रूटीन और अस्पताल तक सीमित था डॉ. आरिफ का जीवन।
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