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क्रिसमस की तैयारियां हुईं शुरू, चर्चों में गूंजने लगे कैरल धुन, बच्चों में उत्साह

भास्कर न्यूज | जामताड़ा/ मुरलीपहाड़ी जामताड़ा जिले में क्रिसमस पर्व की तैयारी जोर-शोर से शुरू हो चुकी है। शहर से लेकर प्रखंड क्षेत्रों तक चर्चों में रंग-रौनक बढ़ गई है। प्रभु यीशु के जन्म दिवस को लेकर बच्चों और युवाओं में खासा उत्साह देखा जा रहा है। चर्चों में सजावट, स्टार लाइटिंग और कैरल सिंगिंग की रिहर्सल चल रही है। चर्च परिसरों में बजने वाली धुनें पूरे माहौल को खुशनुमा बना रही हैं।जामताड़ा, मिहिजाम, नारायणपुर सहित कई क्षेत्रों के चर्चों में बच्चों द्वारा कैरल सिंगिंग की विशेष तैयारी चल रही है। शिक्षक और चर्च के सदस्य बच्चों को क्रिसमस गीतों का उच्चारण, तालमेल और समूह प्रस्तुति का अभ्यास करा रहे हैं। छोटे-छोटे बच्चे रंग-बिरंगी टोपी और परिधान पहनकर प्रभु यीशु के जन्म प्रसंग वाली धुनों पर अभ्यास करते दिखाई दिए। चर्च पदाधिकारियों का कहना है चर्च पादरियों ने कहा कि क्रिसमस प्रभु यीशु के प्रेम, करुणा और त्याग का संदेश देता है। समाज में शांति, भाईचारा और एक-दूसरे की सहायता करना ही क्रिसमस का प्रमुख उद्देश्य है। क्रिसमस के लिए तैयार हो रहे युवाओं और बच्चों में इस संदेश को फैलाने के लिए भी कई गतिविधियाँ आयोजित की जा रही हैं। कि इस बार क्रिसमस कार्यक्रम को और आकर्षक बनाया गया है। बच्चों द्वारा एक समूह नाटक, सांस्कृतिक प्रस्तुति और विशेष कैरल प्रस्तुति भी दी जाएगी। भास्कर न्यूज | फतेहपुर फतेहपुर प्रखंड के अगैयासरमुंडी पंचायत में स्थित ऐतिहासिक कैराबनी मिशन गिरजाघर में आगामी 25 दिसंबर को मनाए जाने वाले ईसाई समुदाय के सबसे बड़े पर्व क्रिसमस को लेकर तैयारियां तेज हो गई हैं। वर्ष 1868 ईस्वी में निर्मित यह गिरजाघर क्षेत्र के सबसे पुराने और प्रमुख गिरजाघरों में से एक है, जिसका धार्मिक और ऐतिहासिक महत्व आज भी बना हुआ है। गिरजाघर के पास्टर रेव. सुजीत मुर्मू ने बताया कि इस चर्च का निर्माण ब्रिटिश शासन काल में किया गया था। इसका निर्माण डेनमार्क के मिशनरियों हेन्स पीटर बोरेनसेन तथा लार्स ओल्सेन स्क्रेफसरड ने कराया था। वर्तमान में कैराबनी मिशन के अंतर्गत कुल 15 गिरजाघर आते हैं, जिनमें यह गिरजाघर हेड गिरजाघर के रूप में जाना जाता है। क्रिसमस पर्व को लेकर गिरजाघर परिसर में रंग-रोगन, साफ-सफाई और सजावट का कार्य जोर-शोर से किया जा रहा है। पास्टर रेव. नुनुहरि हेम्ब्रम ने बताया कि क्रिसमस पर्व ईसाई समुदाय के उद्धारकर्ता प्रभु यीशु मसीह के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता है। यह पर्व 24 दिसंबर की रात से प्रारंभ होकर नए साल के आगमन तक चलता है, जबकि 25 दिसंबर को मुख्य रूप से क्रिसमस मनाया जाता है। इसी दिन से ‘बड़ा दिन’ की शुरुआत भी मानी जाती है।उन्होंने बताया कि क्रिसमस के अवसर पर आसपास के गांवों से लगभग साढ़े तीन सौ की संख्या में ईसाई समुदाय के लोग कैराबनी मिशन गिरजाघर पहुंचते हैं। इस दौरान लोग एक-दूसरे के घर जाकर केरोल्स गाते हैं । सजावट से निखर रहे चर्च परिसर क्रिसमस से पहले ही चर्चों में सजावट का काम तेजी से आगे बढ़ रहा है। इशू के जन्म दिवस पर क्रिसमस ट्री, रंगीन बल्बों की झालर, सितारे से चर्च परिसर कई स्थानों पर स्वयंसेवियों ने सफाई अभियान भी शुरू किया है। लोगों ने बताया कि क्रिसमस के अवसर पर हर वर्ष की भांति इस बार भी चर्च में भव्य कार्यक्रम होगा सैकड़ों श्रद्धालु शामिल होंगे। लोगों में उमंग, बाजारों में रौनक बच्चों और युवाओं में क्रिसमस को लेकर खास उमंग है। वहीं बाजारों में भी क्रिसमस ट्री, सजावटी सामान, सांता कैप, गिफ्ट बॉक्स आदि की खरीदारी शुरू हो गई है। व्यापारी वर्गों को इस बार अच्छी बिक्री की उम्मीद है।जामताड़ा में क्रिसमस की तैयारी जैसे-जैसे आगे बढ़ रही है, माहौल पूरी तरह उत्सवमय होता जा रहा है।


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