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कैंट इंस्पेक्टर पर उनके ही थाने में क्यों हुई एफआईआर:कोर्ट के आदेश के बावजूद दलित युवक पर हमले में नहीं दर्ज की रिपोर्ट

प्रयागराज के कैंट थाने के प्रभारी सुनील कुमार के खिलाफ उनके ही थाने में एफआईआर का संबंध जिस घटना से है, वह दलित युवक से मारपीट, उत्पीड़न की है। आरोप है कि लिखित शिकायत के बाद भी रिपोर्ट दर्ज करने की जगह पीड़ित को टरकाया गया। उसकी अर्जी पर सुनवाई करने के बाद कोर्ट ने आदेश दिया तब भी एफआईआर नहीं लिखी गई। इसके बाद ही कोर्ट ने उनके खिलाफ केस दर्ज करने का आदेश दिया। घटना 2 अप्रैल 2022 की रात हुई
यह घटना 25 साल के जिस दिनेश चन्द्र गौतम के साथ हुई वह राजापुर का रहने वाला है और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी करता है। उसकी शिकायत है “2 अप्रैल की रात करीब 10 बजे मैं सब्जी लेने राजापुर मार्केट में प्रमिल टाइपिंग सेंटर के पास गया था। इसी दौरान पुरानी रंजिश के चलते सोनू यादव और उसके रिश्तेदार हरिनाथ यादव ने पीछे से सरिया और लाठी से हमला कर दिया। जातिसूचक गालियां दीं और धमकाया
“हमले के बाद जब मैंने शोर मचाया तो जातिसूचक गालियां दी गईं और जान से मारने की धमकी देकर दोनों हमलावर मौके से भाग निकले। मैंने 112 पर कॉल किया, जिसके बाद पुलिस और एम्बुलेंस मौके पर पहुंची। बेली अस्पताल ले जाकर मेरा मेडिकल कराया गया और फिर कैंट थाने छोड़ दिया गया।” उसी रात दे दी थी शिकायत
दिनेश का आरोप है कि 2 अप्रैल की रात ही कैंट थाने में लिखित शिकायत देने के बावजूद पुलिस ने एफआईआर नहीं दर्ज की। इसके बाद 12 अप्रैल 2022 को उन्होंने आईजीआरएस पर शिकायत दर्ज कराई। कई बार कैंट थाना और सीओ ऑफिस के चक्कर लगाए। करीब एक साल भटकने के बाद 5 अप्रैल 2023 को पुलिस आयुक्त को रजिस्टर्ड डाक से शिकायत भेजी। इसके बाद भी कार्रवाई न होने पर कोर्ट का रुख किया। जहां 21 सितंबर 2024 को कोर्ट ने एफआईआर दर्ज करने का आदेश दिया। पैरोकार ने रिसीव भी कर ली थी ऑर्डर की कॉपी
उधर इस मामले में यह भी बात सामने आई है कि 21 सितंबर 2024 को पीड़ित की एफआईआर का आदेश हुआ और कैंट थाने के पैरोकार ने एक अक्तूबर 2024 को इस आदेश की कॉपी रिसीव भी कर ली। कोर्ट ने आदेश में यह भी कहा कि एफआईआर की कॉपी दो दिन के भीतर न्यायालय में भेजी जाए। साल भर बीतने के बाद भी आदेश का पालन नहीं होने पर पीड़ित ने 23 सितंबर 2025 को फिर कोर्ट में गुहार लगाई। बताया कि अब तक एफआईआर नहीं हुई।
तीन बार मिला मौका
कोर्ट ने इंस्पेक्टर को तीन बार मौका दिया। 13 अक्तूबर 2025 को आदेशित किया कि 18 अक्तूबर तक स्पष्ट रिपोर्ट दें कि आदेश का अनुपालन हुआ या नहीं। तय तारीख तक रिपोर्ट इसके बाद भी नहीं भेजी गई। इसके बाद चार नवंबर का दिन तय किया गया लेकिन कंप्लायंस रिपोर्ट नहीं दी गई। इस पर कोर्ट ने इसे कंटेम्प्ट मानते हुए इंस्पेक्टर के खिलाफ रिपोर्ट दर्ज करने का आदेश दिया। जिस पर 23 नवंबर को एफआईआर दर्ज हुई। एसीपी ने शुरू की जांच फिलहाल इस मामले की जांच एसीपी सिविल लाइंस विद्युत गोयल ने शुरू कर दी है। उन्होंने बताया कि विवेचना के दौरान जो भी साक्ष्य सामने आएंगे, उनके आधार पर आगे कार्रवाई की जाएगी।


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