पीलीभीत के 12 मजदूर किर्गिस्तान में बंधुआ मजदूरी और गंभीर अत्याचार का सामना कर रहे हैं। उन्हें बेहतर विदेश नौकरी का झांसा देकर किर्गिस्तान भेजा गया था। परिजनों ने पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र सौंपकर अपने प्रियजनों को तुरंत स्वदेश वापस लाने की गुहार लगाई है। मजदूरों ने खुद वीडियो भेजकर अपनी दर्दनाक स्थिति बताई है, जिसमें उनसे जबरन काम कराने, पासपोर्ट जब्त करने और शारीरिक प्रताड़ना का खुलासा हुआ है। ठगी का शिकार हुए ये मजदूर किर्गिस्तान के बिस्केक और इस्यक कुल के बीच फंसे हुए हैं। परिजनों ने बताया कि कुल 13 लोगों को 59 दिन के विजिट वीजा पर भेजा गया था। भेजने वाली निजी एजेंसी ने कंपनी, रहने और खाने की व्यवस्था का भरोसा दिया था। किर्गिस्तान पहुंचने पर मजदूरों को पता चला कि ऑफर लेटर में दर्ज कंपनी अस्तित्व में ही नहीं है। मजदूरों को बिस्केक बुलाया गया था, लेकिन उन्हें लगभग 300 किलोमीटर दूर इस्यक कुल के इलाके में ठेकेदारों के माध्यम से जबरन काम कराया जा रहा है। मजदूरों के अनुसार, उन्हें न तो पर्याप्त भोजन दिया जाता है और न ही रहने का सही इंतजाम है। कई बार उन्हें भूखा रखकर प्रताड़ित किया जाता है और मेहनत का पैसा भी नहीं दिया जा रहा है। मजदूरों ने वीडियो संदेश में बताया कि उनके पासपोर्ट जब्त कर लिए गए हैं। जब वे वापस भेजने की मांग करते हैं, तो उनसे दो-दो लाख रुपये की मांग कर धमकाया जाता है। परिजनों ने आरोप लगाया कि भारत से भेजने से पहले मजदूरों से जबरन एक वीडियो बनवाया गया था, जिसमें उन्हें यह बोलने पर मजबूर किया गया था कि अगर वे वापस आना चाहते हैं तो उन्हें दो-दो लाख रुपये देने पड़ेंगे। स्थानीय स्तर पर सुनवाई न होने पर मजदूरों ने किर्गिस्तान स्थित भारतीय दूतावास को वीडियो और फोटो भेजकर मदद मांगी, लेकिन अभी तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हुई है। परिजनों ने प्रशासन से अपील की है कि उनके बच्चों को सुरक्षित स्वदेश लाया जाए और इस ठगी में शामिल एजेंटों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाए।
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