कासगंज में अटेवा (ऑल टीचर्स एम्प्लॉइज वेलफेयर एसोसिएशन) ने मंगलवार शाम रेलवे स्टेशन के बाहर प्रदर्शन किया। इस दौरान संगठन के सदस्यों ने दिल्ली में हुए एक प्रदर्शन के आयोजकों पर दर्ज एफआईआर की प्रतियां जलाकर विरोध जताया। जिलाध्यक्ष योगेश यादव ने बताया कि 25 नवंबर को नई दिल्ली के जंतर-मंतर पर एनपीएस, यूपीएस और टीईटी की बाध्यता के खिलाफ शांतिपूर्ण प्रदर्शन किया गया था। इस प्रदर्शन के आयोजकों, जिनमे एनएमओपीएस के वरिष्ठ राष्ट्रीय उपाध्यक्ष सुखजीत सिंह, राष्ट्रीय संगठन सचिव विजेंदर धारीवाल और रेलवे के साथी सर्वजीत सिंह व रूपेश शामिल हैं, के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई है। एनएमओपीएस का दावा है कि प्रदर्शन की अनुमति ली गई थी और यह सभी सरकारी दिशा-निर्देशों के अनुरूप था। एफआईआर वापस लेने की मांग को लेकर एनएमओपीएस ने देशभर में एफआईआर की प्रतियां जलाकर विरोध प्रदर्शन किया। जिलाध्यक्ष योगेश यादव ने कहा कि वे ‘पेंशन विहीन तानाशाही’ से नहीं डरेंगे और पुरानी पेंशन बहाल होने तक आंदोलन जारी रखेंगे। उन्होंने पुरानी पेंशन को शिक्षक कर्मचारियों के बुढ़ापे का सहारा और सेवाकाल का महत्वपूर्ण अंश बताया। योगेश यादव ने तर्क दिया कि जब विधायक, सांसद, मंत्री, मुख्यमंत्री, प्रधानमंत्री, राष्ट्रपति, सेना और न्यायाधीशों को पुरानी पेंशन मिल सकती है, तो अर्धसैनिक बलों को इससे वंचित क्यों रखा जा रहा है। उन्होंने यह भी बताया कि अदालत ने अर्धसैनिक जवानों को पेंशन देने का आदेश दिया है, लेकिन सरकार इस फैसले का पालन नहीं कर रही है। एनईआरएमसी के मंडल अध्यक्ष शैलेंद्र सिंह ने इस दौरान कहा कि एक लोकतांत्रिक देश में सभी को अपनी मांग रखने का अधिकार है। उन्होंने जंतर-मंतर पर पुरानी पेंशन बहाली के कार्यक्रम को शांतिपूर्ण बताया और आयोजक समिति के सदस्यों के खिलाफ एफआईआर दर्ज करने को दुर्भाग्यपूर्ण करार दिया। इस विरोध प्रदर्शन में राधा प्यारी रावत, विनीता यादव, दिलीप यादव, अंकित पुंढीर, संजय सिंह, सुरेंद्र सिंह, सोमेंद्र बाबू, नगेंद्र सिंह, जयवीर सिंह, संजय कुमार सहित अन्य कई लोग मौजूद रहे।
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