अयोध्या में रविवार का दिन इतिहास के स्वर्णाक्षरों में दर्ज हो गया, जब 500 वर्षों के लंबे इंतजार के बाद श्री राम जन्मभूमि मंदिर के भव्य शिखर पर भगवा ध्वज फहरा दिया गया। शुभ मुहूर्त में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 फीट लंबे, 11 फीट चौड़े और करीब 3 किलो वजनी ‘धर्म ध्वज’ का ध्वजारोहण किया। इस क्षण के साथ पूरे देश में दिव्यता और आध्यात्मिक उत्साह की लहर दौड़ गई। शहर-शहर, गांव-गांव में धार्मिक आयोजन हुए। वाराणसी भी पीछे नहीं रहा। गंगा किनारे अस्सी घाट से लेकर बीएचयू परिसर तक रामभक्ति का उत्सव दिखा। हजारों दीपों की रोशनी और रामकथा से सजे रंगोलियां ने काशी को नई आभा से भर दिया। देखें तस्वीर… राम मंदिर के प्रतिलिपि का श्रद्धालुओं ने किया दर्शन अस्सी घाट पर जय मां गंगा सेवा समिति और ब्रह्म राष्ट्र एकम संयुक्त तत्वाधान में दीपोत्सव कार्यक्रम आयोजित किया गया। समिति के पदाधिकारियों ने बताया कि यह आयोजन श्रीराम के प्रति आस्था और अयोध्या ध्वजारोहण के उत्सव को काशी से जोड़ने का प्रतीक है। कार्यक्रम के दौरान 11 हजार दीप जलाए गए, जिससे पूरा घाट दिवाली की तरह जगमगा उठा। घाट पर मौजूद परिवारों ने बताया कि 500 साल बाद आया यह शुभ क्षण जीवन का सबसे यादगार पल है। कई श्रद्धालुओं ने कहा कि जब टीवी पर अयोध्या का ध्वजारोहण देखा तो आंखें नम हो गईं और गर्व से हृदय भर आया। कई लोगों ने गंगा आरती के साथ ‘जय श्रीराम’ के उद्घोष किए। यह लोग रहे उपस्थित इधर काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्रों ने प्रभु राम पर आधारित भव्य रंगोलियां बनाईं। रंगोली बनाने वाली छात्राओं ने कहा कि यह सिर्फ कला नहीं बल्कि भक्ति की भावना है। हम ये पल आने का इंतजार वर्षों से कर रहे थे, एक छात्रा ने कहा। दीपोत्सव कार्यक्रम के आयोजकों में शामिल समिति के संयोजक ने बताया, अयोध्या में हुए ध्वजारोहण ने हमें नई ऊर्जा दी है। काशी हमेशा से संस्कृति और धर्म की राजधानी रही है, इसलिए यहां दीपोत्सव से बड़ा उत्सव कोई नहीं हो सकता।
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