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कानपुर में 5 लाख लोगों ने छका लंगर:शहीदी पर्व के उपलक्ष्य में मोतीझील में चला अटूट लंगर; सेवा, समर्पण और समानता का दिखा भाव

कानपुर के मोतीझील लॉन में मंगलवार को 5 लाख से ज्यादा संगत ने गुरु का लंगर छका। नवें गुरु तेग बहादुर सिंह के शहीदी पर्व के उपलक्ष्य में गुरु का अटूट लंगर बरताया गया, जिसमें हजारों की संख्या में लोगों ने एक साथ लॉन में बैठकर गुरु का प्रसाद ग्रहण किया। श्रीगुरु सिंह सभा के तत्वावधान में कार्यक्रम का आयोजन किया गया, जिसमें हजारों सेवादार निस्वार्थ भाव ने अपनी सेवाएं देते नजर आए। दोपहर 12 बजे से लंगर शुरू हो गया, जो देर शाम तक लगातार जारी रहा। गुरु सिमरन के बाद संगत आती रही और गुरु का प्रसाद ग्रहण करती रही। इस दौरान वाहेगुरु-वाहेगुरु की गूंज पूरे पांडाल में गूंजती रही। समानता का संदेश देता है गुरु का लंगर मोतीझील में हुए लंगर में 5 लाख लोगों से ज्यादा ने गुरु का प्रसाद छका। मैदान में एक बार में एक साथ ढ़ाई हजार से ज्यादा लोग लंगर छकते रहे। अमीरी, गरीबी, जाति-धर्म और ऊंच-नीच के भेदभाव को भूलकर सभी एक साथ भोजन करते नजर आए। वहीं दूसरी ओर संगत की सेवा में बड़ी संख्या में सेवा भाव से सेवादार लगे हुए थे, जो गुरु के प्रति पूरी आस्था दिखाते हुए उनके बताए सेवा के काम को कर रहे थे। सेवादारों ने बताया कि गुरु ने समानता और सेवा का संदेश दिया है, जिसका प्रतीक यह लंगर है। जहां सभी एक साथ बैठकर भोजन छकते हैं। 48 घंटे से लगातार सेवाएं दे रहे सेवादार लंगर की तैयारियों को लेकर मोतीझील लॉन में पिछले 48 घंटे से लगातार सेवादार जुटे रहे। रविवार से ही लंगर की तैयारियां शुरू हो गई थी। लंगर की तैयारियों में 10 हजार से ज्यादा सेवादार जुटे हुए थे, जिन्होंने लगातर सेवा कार्य करते हुए लंगर तैयार किया। एक ओर महिलाएं और युवा लंगर का भोजन तैयार कर रहे थे। वहीं दूसरी ओर बड़ी संख्या में सिख सेवादार लंगर बरताने में जुटे हुए थे। वाहेगुरु-वाहेगुरु के सिमरन के साथ सेवादार पूरे प्रेम भाव के साथ संगत को लंगर परोस रहे थे। वहीं लंगर छकने वाले भी पूरी आस्था के साथ लंगर का प्रसाद ग्रहण कर रहे थे। लंगर छकने के बाद देते रहे सेवाएं गुरु का लंगर छकने के लिए सिख संगत अपने पूरे परिवार के साथ मोतीझील पहुंचे। पहले उन्होंने गुरू साहिब के सामने पूरी आस्था से शीश झुकाया और फिर पूरे परिवार के साथ गुरु का लंगर भी छका। इसके बाद सिख संगत के लोग गुरु के बताए मार्ग पर चलते हुए लंगर, साफ-सफाई और अन्य कार्यों में सेवाएं देते रहे। देर शाम तक आस्था का यह संगम लगातार जारी रहा।


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