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कहां गए हिमांशु अग्रवाल के 22 लाख रुपये?:आगरा के दवा कारोबारी को तीन मुकदमों में मिली जमानत, एडवोकेट मांगेंगे हिसाब

उस समय गोदाम में 1 करोड़ 22 लाख रुपये थे। एक करोड़ रुपये रिश्वत में दिखा दिए। लेकिन 22 लाख रुपये कहां है, इसका हिसाब किसी के पास नहीं है। अब हमारे क्लाइंट को जमानत मिल गई है, अब एक करोड़ 22 लाख रुपये का हिसाब मांगेंगे। हिमांशु अग्रवाल पर सभी मुकदमे गलत थे। एंटी करप्शन के बाद बाकी के दो मुकदमे दर्ज कराए गए थे।
आगरा के दवा कारोबारी हिमांशु अग्रवाल को तीन मुकदमों में जमानत दिलाने वाले वकील जय नरायन शर्मा और जय शर्मा से दैनिक भास्कर ने बात की। जाना कि किन ग्राउंड्स पर उन्होंने हाईकोर्ट में हिमांशु अग्रवाल का पक्ष रख जमानत दिलाई। पहले जानते हैं कि हिमांशु कैसे STF के शिकंजे में आया… 22 अगस्त, शुक्रवार को आगरा की दवा मार्केट में ड्रग विभाग की कानपुर और बस्ती मंडल की टीम ने छापा मारा। टीम के साथ STF भी थी। करीब 30-35 कर्मचारी बंसल और हे मां मेडिकल स्टोर पहुंचे। टीम ने इन दोनों दुकानों के साथ ही इनके गोदाम की भी जांच शुरू की। इसके बाद रात होने पर टीम ने दोनों की दुकान और गोदाम को सील कर दिया। सुबह फिर से जांच शुरू की। ड्रग विभाग के मुताबिक, हे मां मेडिकल एजेंसी में साढ़े 3 करोड़ की दवाएं मिलीं। टीम ट्रक में भरकर इन दवाओं को कोतवाली ले गई। वहीं, बंसल मेडिकल एजेंसी के मोती कटरा स्थित गोदाम में भी टीम पहुंची। वहां दवाइयों से भरी एक डीसीएम मिली। यह माल रेलवे के जरिए आया था। चेन्नई की किसी फर्म ने लखनऊ के पते पर भेजा था, लेकिन माल आगरा में उतारा गया था। टीम ने ट्रक को जब्त कर लिया। दवाओं की कीमत का बिल 10 लाख का था। सूत्रों के मुताबिक, बंसल मेडिकल स्टोर के गोदाम से 1 करोड़ रुपए की दवाएं बरामद की गईं। हे मां मेडिकल स्टोर के मोतीकटरा में कई गोदाम मिले। यहां से दवाइयों का जखीरा बरामद हुआ। इनकी अनुमानित कीमत 2.43 करोड़ रुपए बताई गई है। इस तरह दोनों फर्मों के गोदामों से कुल 3.23 करोड़ रुपए की दवाइयां बरामद की गई हैं।
3 बैग में 1 करोड़ रुपए लेकर पहुंचा हिमांशु छापेमारी के बाद हिमांशु अग्रवाल मामले को रफा-दफा कराना चाहता था। उसने पहले दवा एसोसिएशन के पदाधिकारियों से STF और ड्रग अधिकारियों को फोन करवाया। फिर भी बात नहीं बनी तो खुद वॉट्सऐप कॉल कर STF इंस्पेक्टर यतींद्र शर्मा से संपर्क किया। उनसे वॉट्सऐप कॉल पर मामला सेट करने की बात की। इसके बाद STF इंस्पेक्टर यतींद्र ने एडिशनल एसपी राकेश यादव के साथ ही एडीजी कानून व्यवस्था अमिताभ यश को इस बारे में बताया। साथ ही खुद भी हिमांशु के संपर्क में रहे। हिमांशु ने 1 करोड़ रुपए 4 घंटे में इकट्‌ठा किए। फिर वह 3 बैग में नोट लेकर इंस्पेक्टर से मिलने पहुंच गया। बैग में 500-500 के नोट भरे थे। थाने में ही STF इंस्पेक्टर ने हिमांशु अग्रवाल को 1 करोड़ की रिश्वत के साथ पकड़ लिया। हिमांशु को मौके से अरेस्ट किया गया। किन मुकदमों में कब-कब हुई जमानत
एडवोकेट जय नरायन शर्मा ने बताया कि हिमांशु अग्रवाल पर तीन मुकदमे दर्ज हुए थे। दो मुकदमे थाना कोतवाली में थे और एक मुकदमा थाना एमएम गेट पर दर्ज हुआ था। सबसे पहले मुकदमा थाना कोतवाली में एंटी करप्शन का दर्ज कराया गया था। इसे लेकर कोर्ट में बहस होने पर दूसरे दिन एसटीएफ और ड्रग विभाग ने नकली दवा बेचना और धोखाधड़ी कर दवा मंगाना और बेचने का केस दर्ज कराया था।
कोर्ट ने उसे 11 नवंबर को धोखाधड़ी कर दवा लाने और ले जाने के मामले में जमानत दी थी। इसके बाद 26 नवंबर को दूसरे मामले में जमानत मिली। इस केस में एसटीएफ टीम ने आरोप लगाया था कि हिमांशु अग्रवाल ने खुद को बचाने के लिए एक करोड़ रुपए की रिश्वत की पेशकश की थी। इसी आधार पर उनके खिलाफ 24 अगस्त 2025 को भ्रष्टाचार अधिनियम की धारा 8 में अलग मुकदमा दर्ज किया गया था। तीसरी जमानत 8 दिसंबर को मिली है। यह मामला नकली दवा बेचने का मामला था। संभावना है कि एक-दो दिन में हिमांशु आगरा आ जाएगा। 19 सितंबर से हिमांशु अग्रवाल जेल में बंद है। हाईकोर्ट में रखे यह पक्ष
एडवोकेट जय नरायन शर्मा ने बताया कि पहला मुकदमा 60/25 एंटी करप्शन का था। हमने यह पक्ष रखा था कि हिमांशु पर किसीभी तरह का कोई केस दर्ज नहीं था। वो क्यों रिश्वत देने की पेशकश करेगा। जिस एक करोड़ रुपये को रिश्वत में दिखाया गया, वो हिमांशु के गोदाम पर रखे हुए थे। हिमांशु चूंकि बहुत बड़ा स्टाकॉस्ट है, इसलिए इतने पैसे उसके पास रखे रहते हैं। उसका हिसाब हिमांशु ने छापा मारने पहुंची सीजीएसटी की टीम को दिा था।
दूसरा केस एक टेंपों वाले के बयान पर दर्ज कराया गया था। जबकि न तो वो टेंपो हिमांशु का था और न ही उसमें रखी दवाएं ही थी। टेंपों में जो दवाएं थी, उनका बिल लखनऊ की एक फर्म का था। जो साबित हो गया है।
तीसरा केस नकली दवा का था। जिस पर एडवोकेट की तरफ से पक्ष रखा गया कि सिर्फ व्हाट्सएप पर एक फोटो खींच कर दवा कंपनी के प्रतिनिधि को भेजी गई थी। उस दवा कंपनी ने डिब्बे को देखकर दवा को नकली बताया। जबकि लैब रिपोर्ट में किसी भी दवा की रिपोर्ट नकली नहीं आई है। हाईकोर्ट में दी बैलेंस शीट
एडवोकेट जय शर्मा का कहना है कि हमने हाईकोर्ट में बैलेंस शीट दी थी। जिसमें एक करोड़ 22 लाख रुपये का पूरा हिसाब है। एक करोड़ रिश्वत में एक नंबर में दिखा दिए, लेकिन 22 लाख रुपये का अब तक कुछ पता नहीं है। हमारे पास पूरे पेपर्स हैं। रिश्वत में दिया एक करोड़ रुपया हिमांशु का ही था।


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