बहराइच में कतर्नियाघाट वन्यजीव प्रभाग और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के संयुक्त तत्वावधान में हाथी-मानव संघर्ष प्रबंधन कार्यशाला का आयोजन इको अवेयरनेस सेंटर में किया गया। कार्यशाला का मुख्य उद्देश्य मानव-हाथी संघर्ष को कम करने के उपायों पर विभिन्न विभागों और समुदाय के साथ चर्चा करना था। इस दौरान डीएफओ सूरज ने वन, पुलिस, कृषि विज्ञान, सिंचाई, विद्युत, पशुपालन और राजस्व विभाग के प्रतिनिधियों से हाथी संरक्षण में सहयोग देने की अपील की। उन्होंने ग्रामवासियों तक सरकारी योजनाओं की जानकारी पहुंचाने और उनके जीवन स्तर में सुधार की जरूरत पर भी जोर दिया। किसानों को हाथियों से होने वाले नुकसान को कम करने के लिए डीएफओ ने फसल विविधिकरण का सुझाव दिया, जिसमें हल्दी की उन्नत खेती, मधुमक्खी पालन और मशरूम उत्पादन जैसे विकल्प शामिल हैं। इको विकास समितियों और कृषि विज्ञान केंद्र के माध्यम से इन्हें आवश्यक सहयोग देने का आश्वासन भी दिया गया। उन्होंने बताया कि थारू बहुल ग्राम बर्दिया की महिलाओं द्वारा बनाए गए हस्तशिल्प उत्पादों की बिक्री के लिए कतर्नियाघाट पर्यटन केंद्र में स्टॉल आवंटित किया गया है, और आगे अन्य महिलाओं को भी प्रशिक्षण देकर स्वावलंबी बनाने की योजना है। डीएफओ ने बैराज पर जलीय जीवों की निगरानी एवं बचाव में सिंचाई विभाग की भूमिका की सराहना की। पशुपालन विभाग द्वारा सीमावर्ती गांवों में मवेशियों के टीकाकरण और नस्ल सुधार कार्यक्रमों में दिए जा रहे योगदान की भी प्रशंसा की गई। उन्होंने युवाओं को पशुपालन व्यवसाय अपनाने के लिए प्रेरित किया। वहीं विद्युत विभाग से हाथी कॉरिडोर क्षेत्रों में ढीले विद्युत तारों को दुरुस्त करने की अपेक्षा की गई, ताकि जंगली हाथियों को दुर्घटनाओं से बचाया जा सके। कार्यशाला में डब्ल्यूडब्ल्यूएफ की आस्था वर्मा ने हल्दी की उन्नत खेती पर प्रस्तुतीकरण दिया, जबकि नासित अली ने हाथियों की डीएनए प्रोफाइलिंग और वनस्पति सर्वेक्षण के बारे में जानकारी साझा की। कृषि विज्ञान केंद्र नानपारा के अध्यक्ष डॉ. संदीप कुमार ने ऐसी फसलों और योजनाओं की जानकारी दी जो आय बढ़ाने के साथ वन्यजीवों को आकर्षित नहीं करतीं। पुलिस क्षेत्राधिकारी मिहींपुरवा प्रद्युम्न सिंह ने मानव-वन्यजीव संघर्ष के मामलों में सहयोग का भरोसा दिया। सिंचाई खंड शारदानगर की उपखंड अधिकारी जुथिका नायक ने जलीय जीवों के संरक्षण और रेस्क्यू में निरंतर सहयोग की बात कही। कार्यक्रम का संचालन डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के वरिष्ठ परियोजना अधिकारी दबीर हसन ने किया। उन्होंने कहा कि यह कार्यशाला तराई हाथी रिज़र्व और हाथी संरक्षण के महत्व को समझाने के साथ-साथ ग्रामवासियों के नुकसान को कम करने में सभी विभागों की संयुक्त भूमिका को मजबूत करती है। इस अवसर पर क्षेत्रीय वनाधिकारी आशीष गौड़, सुरेंद्र श्रीवास्तव, रोहित यादव, डॉ. विपिन बिहारी वर्मा, एसएसओ जितेंद्र कुमार, सिंचाई विभाग के गौरव कुमार और विनोद कुमार गोंड, वैज्ञानिक एस.के. गौतम, ग्राम प्रधान, बाघ मित्र, गजमित्र, प्रगतिशील किसान और डब्ल्यूडब्ल्यूएफ के फील्ड सहायक सहित अनेक लोग मौजूद रहे।
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