इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एनआईए के डीएसपी मोहम्मद तंजील और बीवी पत्नी फरजाना की हत्या के मामले में खंडित फैसला सुनाया है। ट्रायल कोर्ट ने घटना के आरोपियों को फांसी की सजा सुनाई थी। इसके खिलाफ अपील दाखिल की गई। फांसी की सजा का रेफरेंस भी हाईकोर्ट भेजा गया। दोनों पर एकसाथ सुनवाई हुई। दो न्यायाधीशों खंडपीठ में न्यायमूर्ति हरवीर सिंह ने मुख्य दोषी रैयान की दोषसिद्धि को बरकरार रखा और मृत्युदंड को आजीवन कारावास में बदल दिया।
वहीं दूसरे न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने अभियुक्त को संदेह का लाभ देकर बरी कर दिया। ऐसे में अब अंतिम निर्णय के लिए मामले को मुख्य न्यायाधीश को उचित बेंच नामित करने के लिए भेज दिया गया है। यह आदेश न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता एवं न्यायमूर्ति हरवीर सिंह की खंडपीठ ने दिया है। बिजनौर के स्योहारा थाने में मरहूम मोहम्मद तंजील के भाई मोहम्मद रागिब ने तीन अप्रैल 2016 को मुकदमा दर्ज कराया था। आरोप लगाया कि भांजी की शादी से देर रात लौटते समय तंजील व उनकी बीवी फरजाना पर रास्ते में बाइक सवार दो हमलावरों ने अंधाधुंध फायरिंग की। में गोलियां लगने से दोनों की मौत हो गई। ट्रायल कोर्ट ने मुनीर और रैयान को दोषी ठहराते हुए फांसी की सजा सुनाई थी। सजा के खिलाफ दोनों ने हाईकोर्ट में अपील की। अपील के लंबित रहने के दौरान मुनीर की मौत हो गई। ऐसे में उसकी अपील समाप्त हो गई। रैयान की ओर से दलील गई दी कि अभियोजन पक्ष अभियुक्त के खिलाफ संदेह से परे अपराध साबित करने में विफल रहा है। उन्होंने पहचान और आपराधिक साजिश से संबंधित साक्ष्यों पर संदेह उठाया। दलील दी गई कि यदि दोषसिद्धि कायम भी रहती है, तो यह मामला दुर्लभ में दुर्लभतम श्रेणी में नहीं आता। इसी आधार पर मौत की सजा को आजीवन कारावास में बदलने का आग्रह किया। सरकारी वकील सैयद काशिफ अब्बास रिजवी ने ट्रायल कोर्ट के फैसले का समर्थन करते हुए दलील दी कि अभियुक्तों ने सुनियोजित साजिश के तहत अधिकारी और उनकी बीवी की निर्मम हत्या की। उन्होंने कहा कि अभियोजन पक्ष ने मकसद और परिस्थितिजन्य साक्ष्य की श्रृंखला पेश कर अभियुक्तों को दोषी साबित किया है। यह एक दुर्लभतम मामला है क्योंकि अपराध की प्रकृति बेहद जघन्य है और यह समाज पर गंभीर प्रभाव डालता है। उन्होंने खंडपीठ से ट्रायल कोर्ट के मृत्युदंड को पुष्टि करने की मांग की। सुनवाई के बाद न्यायमूर्ति हरवीर सिंह ने ट्रायल कोर्ट की दोषसिद्धि के फैसले को सही ठहराया लेकिन मृत्युदंड को कम करके आजीवन कारावास में तब्दील दिया। वहीं न्यायमूर्ति राजीव गुप्ता ने अभियुक्त रैयान को बरी करने का मत व्यक्त किया। दोनों न्यायाधीशों की राय अलग-अलग होने के कारण मामले को अंतिम सुनवाई और निर्णय के लिए मुख्य न्यायाधीश को रेफर कर दिया गया।
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