एटा में दर्जनों रोजगार सेवक अपनी समस्याओं के समाधान के लिए जिलाधिकारी कार्यालय पहुंचे। उन्होंने उत्तर प्रदेश ग्राम रोजगार सेवक संघ के बैनर तले एक लिखित ज्ञापन सौंपा, जिसमें मानदेय भुगतान और अन्य भत्तों की मांग की गई। संगठन के जिलाध्यक्ष सनोज कुमार ने यह ज्ञापन प्रस्तुत किया। रोजगार सेवकों की प्रमुख मांगों में से एक यह है कि उनका मानदेय शासन स्तर से वर्ष में केवल दो या तीन बार ही जारी किया जाता है। उन्होंने मांग की है कि मानदेय को प्रतिमाह उनके खातों में सीधे स्थानांतरित किया जाए। एक अन्य महत्वपूर्ण मांग ईपीएफ से संबंधित है। मनरेगा कार्मिकों को मानदेय प्राप्त होने के बाद मिलने वाली ईपीएफ की धनराशि प्रशासनिक मद में प्राप्त नहीं कराई जाती है। इस कारण उन्हें वर्षों तक ईपीएफ का लाभ नहीं मिल पाता है। रोजगार सेवकों ने 15 वर्ष से अधिक समय से कार्य कर रहे कर्मचारियों का मानदेय बढ़ाने की भी मांग की। उन्होंने बताया कि वे शासन द्वारा संचालित विभिन्न योजनाओं में महत्वपूर्ण सहयोग प्रदान करते हैं। आधुनिक समय में रोजगार सेवकों से मनरेगा मजदूरों की हाजिरी, ई-केवाईसी, एनएमएमएस क्रॉप सर्वे और बीएलओ की ड्यूटी जैसे सभी कार्य मोबाइल और इंटरनेट के माध्यम से करवाए जा रहे हैं। इन अतिरिक्त कार्यों के लिए उन्हें किसी प्रकार का कोई अलग से भत्ता प्राप्त नहीं होता है, जिसके लिए उन्होंने भत्ते की मांग की है। रोजगार सेवकों ने बताया कि अल्प मानदेय के कारण उनके पास उच्च गुणवत्ता के 5G मोबाइल फोन और इंटरनेट की सुविधा नहीं होती है, जिससे सरकारी योजनाएं प्रभावित होती हैं। साथ ही, कार्य प्रगति खराब होने पर उन्हें उच्च अधिकारियों की डांट-फटकार भी झेलनी पड़ती है। उन्होंने उच्च गुणवत्ता के 5G मोबाइल, मोटरसाइकिल पेट्रोल अथवा यात्रा भत्ता दिलाए जाने का अनुरोध किया। उन्होंने यह भी मांग की कि ग्राम रोजगार सेवकों के जॉब चार्ट में मनरेगा के अतिरिक्त लिए जा रहे कार्यों को भी जोड़ा जाए और मानव संसाधन नीति (HR पॉलिसी) लागू की जाए।
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