एटा के मलावन गौशाला में स्वयं सहायता समूह की महिलाओं ने आत्मनिर्भरता का एक प्रभावी मॉडल विकसित किया है। डीएम प्रेमरंजन सिंह और मुख्य विकास अधिकारी डॉ. नागेंद्र नारायण मिश्र के मार्गदर्शन में महिलाओं ने गोबर से ‘गौ-कास्ट’, वर्मी कम्पोस्ट और फूस-टाट की बोरी से ‘इको-थर्मल कंबल’ जैसे उत्पाद बनाए हैं। यह पहल ग्रामीण आजीविका, पुनर्चक्रण और पर्यावरण संरक्षण का एक अनूठा उदाहरण बन रही है। इस मॉडल और गौशाला में नवनिर्मित कार्यालय का उद्घाटन भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता ने किया। इस अवसर पर मुख्य विकास अधिकारी डॉ. नागेंद्र नारायण मिश्र, ब्लॉक प्रमुख प्रतिनिधि सकीट, सीवीओ डॉ. आर.बी. राम, सचिव नवनीत और डीपीओ आर्यन गौड़ सहित कई अधिकारी मौजूद रहे। भाजपा जिलाध्यक्ष प्रमोद गुप्ता ने जिला प्रशासन की इस पहल की सराहना की। उन्होंने कहा कि इससे गौशालाओं की आय में वृद्धि होगी और स्वयं सहायता समूह से जुड़ी महिलाओं को रोजगार के अवसर मिलेंगे। उन्होंने जनपद की सभी गौशालाओं में इस मॉडल को लागू करने का सुझाव दिया, जिससे गौशालाओं का संवर्धन और महिलाओं की आर्थिक प्रगति एक साथ हो सके। मुख्य विकास अधिकारी डॉ. नागेंद्र नारायण मिश्र ने महिलाओं के कार्यों की प्रशंसा की। उन्होंने इसे गौ-कल्याण और ग्रामीण अर्थव्यवस्था का एक मजबूत संयोजन बताया। डॉ. मिश्र ने निर्देश दिए कि गोबर आधारित उत्पाद जैसे अगरबत्ती, धूपबत्ती, मोमेंटो और गमले बनाने के लिए 30 ‘सखी दीदियों’ की सूची तैयार की जाए। उन्होंने राष्ट्रीय राजमार्ग के पास इन उत्पादों की बिक्री के लिए एक दुकान संचालित करने का भी सुझाव दिया। डॉ. नागेंद्र नारायण मिश्र ने बताया कि इन गतिविधियों से स्वयं सहायता समूह की महिलाओं को प्रति माह 4,000 से 5,000 रुपये तक की अतिरिक्त आय होगी। इससे गौशाला आत्मनिर्भर बनेगी और स्थानीय महिलाओं को स्थायी रोजगार मिलेगा। उन्होंने बताया कि गोबर से जैविक खाद और लकड़ियां बनाई जाएंगी, जिनका उपयोग सर्दियों में करने के लिए लोगों को प्रेरित किया जाएगा। केंचुए की खाद सहित अन्य उत्पाद भी तैयार किए जा रहे हैं। महिला समूहों ने संकल्प लिया है कि वे भविष्य में भी गौशाला संचालन, स्वच्छता, पोषण प्रबंधन और उत्पाद निर्माण में सक्रिय भूमिका निभाते हुए इस मॉडल का विस्तार करेंगी।
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