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उन्नाव में राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन:96,812 वादों का निस्तारण, करोड़ों का मुआवजा मिला

उन्नाव में राष्ट्रीय लोक अदालत का सफल आयोजन किया गया, जिसमें कुल 96,812 वादों का निस्तारण हुआ। प्रशासनिक न्यायामूर्ति सुभाष विद्यार्थी की उपस्थिति में यह लोक अदालत सफल रही, जिसमें करोड़ों रुपये के मुआवजे और समझौतों को अंतिम रूप दिया गया। जनपद न्यायालय के केंद्रीय सभागार में दीप प्रज्ज्वलन और माँ सरस्वती की प्रतिमा पर माल्यार्पण कर राष्ट्रीय लोक अदालत का शुभारंभ किया गया। जनपद न्यायाधीश अनिल कुमार वर्मा-I ने प्रशासनिक न्यायामूर्ति सुभाष विद्यार्थी को गुलदस्ता और लाइव प्लांट भेंट कर सम्मानित किया। न्यायाधीश परिवार न्यायालय सुनील कुमार वर्मा-I, अन्य न्यायिक अधिकारी, अपर जिला जज, मुख्य न्यायिक मजिस्ट्रेट, बार एसोसिएशन के पदाधिकारी, अपर जिलाधिकारी (वित्त एवं राजस्व) सुशील कुमार गोंड और पुलिस अधीक्षक जय प्रकाश सिंह सहित विभिन्न बैंकों के पदाधिकारियों ने भी प्रशासनिक न्यायामूर्ति को गुलदस्ता भेंट किया। कार्यक्रम का संचालन अपर जिला जज/सचिव जिला विधिक सेवा प्राधिकरण उन्नाव मनीष निगम ने किया। राष्ट्रीय लोक अदालत का उद्घाटन करते हुए प्रशासनिक न्यायामूर्ति सुभाष विद्यार्थी ने सुलह-समझौते के आधार पर अधिक से अधिक वादों का निस्तारण करने का आह्वान किया। उन्होंने कहा कि लोक अदालत आमजन को त्वरित, सुलभ और कम खर्च में न्याय उपलब्ध कराने का एक सशक्त माध्यम है। लोक अदालत में मोटर दुर्घटना दावा अधिकरण के 57 वादों में 3 करोड़ 86 लाख 6 हजार रुपये का प्रतिकर अवार्ड किया गया। इसके अतिरिक्त, 1,114 बैंक रिकवरी वादों का निस्तारण हुआ, जिनमें 11 करोड़ 97 लाख 76 हजार रुपये की धनराशि अदायगी हेतु तय की गई। उत्तराधिकार के मामलों में 1 करोड़ 65 लाख 98 हजार 658 रुपये 25 पैसे के प्रमाण पत्र जारी किए गए।
कुल निस्तारित वादों में 118 वैवाहिक वाद, बीएसएनएल के 31 और फाइनेंस कंपनियों के 41 वाद शामिल थे। विविध दीवानी के 50, आपराधिक शमनीय के 1,723 वादों में 6 लाख 26 हजार 900 रुपये का अर्थदंड लगाया गया, साथ ही एनआई एक्ट का 1 वाद और 775 अन्य वादों का भी निस्तारण हुआ। राजस्व से संबंधित 55,457 वाद और विद्युत से संबंधित 35,172 प्री-लिटिगेशन वादों का भी निस्तारण किया गया। मुख्य चिकित्साधिकारी द्वारा 2,180 वाद और अन्य लघु वादों के 86 मामलों को भी इस लोक अदालत में निपटाया गया। विशेष रूप से वैवाहिक मामलों में 45 दंपतियों ने आपसी सुलह-समझौते के आधार पर पुनर्मिलन का निर्णय लिया, जो लोक अदालत की मानवीय और सकारात्मक भूमिका को दर्शाता है। इस प्रकार राष्ट्रीय लोक अदालत का आयोजन जनपद में न्यायिक समाधान की दिशा में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि साबित हुआ।


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