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इस साल चारधाम में पहुंचे 50 लाख श्रद्धालु:209 दिन चली यात्रा, केदारनाथ में रिकॉर्ड टूटा; आपदा के कारण यमुनोत्री पर असर

उत्तराखंड में आज चमोली में स्थित बद्रीनाथ धाम के कपाट के बंद होते ही इस साल की चारधाम यात्रा भी संपन्न हो गई है। इस साल 50 लाख से ज्यादा श्रद्धालु चारधाम यात्रा पर आए। यात्रा अक्षय तृतीया के दिन, यानी 30 अप्रैल 2025 को यमुनोत्री और गंगोत्री के कपाट खुलने से शुरू हुई थी। पूरे 6 महीनों तक उत्तराखंड की वादियां ‘जय बद्री-विशाल’ और ‘हर-हर महादेव’ की गूंज से भरी रहीं। पिछले साल की तुलना में इस बार श्रद्धालुओं की संख्या में बड़ा उछाल देखने को मिला। जहां 2024 में केदारनाथ और बद्रीनाथ में दर्शन करने वालों ने रिकॉर्ड बनाए थे, वहीं 2025 ने यह रिकॉर्ड भी तोड़ दिया। राज्य आपातकालीन परिचालन केंद्र के मुताबिक, केदारनाथ में 2024 में 16 लाख 52 हजार 76 लोग पहुंचे और इस साल 17 लाख 68 हजार से ज्यादा लोगों ने बाबा केदार के दर्शन किए। वहीं बद्रीनाथ में 2024 में 14 लाख 35 हजार 341 और इस साल 16 लाख 52 हजार 971 लोगों ने बद्री विशाल के दर्शन किए। इसके अलावा यमुनोत्री में 2024 में 7 लाख और इस साल 7 लाख 58 हजार 249 से ज्यादा श्रद्धालु धाम पहुंचे। वहीं गंगोत्री में 2024 में 7 लाख और 2025 में 6 लाख 44 हजार 637 से ज्यादा लोगों ने दर्शन किए। गंगोत्री और यमुनोत्री यात्रा उत्तरकाशी में आपदा के कारण प्रभावित रही। इसका असर लोगों की संख्या पर साफ दिखा। चार धाम की विशेषता और रूट मैप 1. यमुनोत्री
चारधाम यात्रा का पहला धाम यमुनोत्री, मां यमुना का पवित्र स्थल माना जाता है। 2025 की यात्रा में उत्तरकाशी जिले में आई आपदा ने भले ही कई बार रास्तों को बाधित किया हो, लेकिन श्रद्धालुओं की आस्था डगमगाई नहीं। धाम के कपाट 30 अप्रैल 2025 (अक्षय तृतीया) के शुभ दिन विधि-विधान, वेद मंत्रोच्चारण और डोली यात्रा के साथ खोले गए। वहीं, 23 अक्टूबर 2025 (भैया दूज) के दिन पारंपरिक अनुष्ठान, विशेष पूजा और वेद मंत्रोच्चारण के बीच धाम के कपाट शीतकाल के लिए दोपहर 12:30 बजे बंद कर दिए गए थे। यमुना मंदिर का निर्माण टिहरी गढ़वाल के महाराजा प्रताप शाह ने करवाया था। फेमस जगह और मंदिर: यमुनोत्री मंदिर, सप्तऋषि कुंड, सूर्य कुंड, दिव्य शिला, हनुमानचट्टी, खरसाली। 2. गंगोत्री उत्तरकाशी में समुद्र तल से 3200 मीटर की ऊंचाई पर गंगोत्री है। यह वही स्थान है जहां भागीरथी नदी (गंगा की मुख्य धारा) बहती हुई दिखाई देती है और गंगा अवतरण की पौराणिक कथा से जुड़ा है। 30 अप्रैल 2025 (अक्षय तृतीया) को गंगोत्री धाम के कपाट विधिवत पूजा और वेद मंत्रोच्चारण के साथ खोले गए थे। हालांकि, गंगोत्री के कपाट 22 अक्टूबर 2025 को सुबह 11 बजकर 36 मिनट पर शीतकाल के लिए बंद हो चुके हैं। फेमस जगह और मंदिर: भोजबासा, गंगनानी, केदारताल, गौमुख, गंगोत्री मंदिर, भैरोंघाटी, जलमग्न शिवलिंग, तपोवन। 3. केदारनाथ भगवान शिव के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक केदारनाथ धाम इस साल फिर आस्था का केंद्र बना रहा। समुद्र तल से 11,755 फीट की ऊंचाई पर स्थित यह पवित्र धाम हर साल लाखों भक्तों को अपनी ओर खींचता है। 2025 की यात्रा भी किसी महाकुंभ से कम नहीं रही। 2 मई 2025 को विधि-विधान, डोलियों के स्वागत और वेद मंत्रोच्चारण के बीच केदारनाथ धाम के कपाट खोले गए थे और केदारनाथ के कपाट 23 अक्टूबर 2025 को भैया दूज के दिन सुबह 8:30 बजे शीतकाल के लिए बंद हो गए थे। फेमस जगह और मंदिर: गांधी सरोवर, फाटा, सोन प्रयाग, त्रियुगी नारायण मंदिर, चंद्रपुरी, कालीमठ, वासुकी ताल, शंकराचार्य समाधि, गौरीकुंड। 4. बद्रीनाथ बद्रीनाथ धाम, जिसे बद्री नारायण मंदिर भी कहा जाता है, उत्तराखंड के चार धामों में सबसे प्रमुख और पवित्र धाम है। यह धाम भगवान विष्णु को समर्पित है, जहां वे ‘बदरी-विशाल’ के रूप में विराजमान हैं। इस साल 4 मई को बद्रीनाथ धाम के कपाट खोले गए थे। वहीं आज यानी 25 नवंबर को विधि विधान के साथ 2 बजकर 56 मिनट पर कपाट बंद कर दिए गए हैं। इस दौरान तकरीबन 5 हजार से अधिक श्रद्धालुओं के मौजूद रहे। फेमस जगह और मंदिर: पांडुकेश्वर, योगध्यान बद्री मंदिर, माणा गांव, सतोपंथ झील, तप्त कुंड, नीलकंठ शिखर, चरण पादुका, माता मूर्ति मंदिर, नारद कुंड, भीम पुल, गणेश गुफा, ब्रह्म कपाल, शेषनेत्र, व्यास गुफा आदि। उत्तराखंड पर्यटन विभाग के अनुसार, इस साल यमुनोत्री धाम में 6.44 लाख, गंगोत्री धाम में 7.58 लाख, केदारनाथ में 17.68 लाख और बद्रीनाथ में 16.47 लाख श्रद्धालु (रविवार तक) दर्शन कर चुके हैं। चारों धामों के शीतकालीन गद्दी स्थल यमुनोत्री धाम का शीतकालीन गद्दीस्थल: खरसाली गांव यमुनोत्री धाम की देवी माता यमुना की गद्दी शीतकाल में खरसाली गांव लाई गई है, जहां शीतकालीन यमुनोत्री मंदिर में नियमित पूजा हो रही है। यह गांव यमुनोत्री घाटी का सबसे पुराना और पवित्र स्थल माना जाता है। गंगोत्री धाम का शीतकालीन गद्दीस्थल: मुखबा गंगोत्री धाम की देवी गंगा माता की गद्दीस्थल शीतकाल में मुखबा गांव स्थित मंदिर में मां गंगा विराजमान होती हैं। मुखबा गांव गंगा माता का परंपरागत निवास स्थल भी माना जाता है। सर्दियों में यहां विधिवत पूजा होती है। केदारनाथ धाम का शीतकालीन गद्दीस्थल: उखीमठ (ओंकारेश्वर मंदिर) भगवान केदारनाथ (भगवान शिव) की गद्दीस्थल शीतकाल में ऊखीमठ स्थित ओंकारेश्वर मंदिर में बाबा केदार विराजमान हैं। यह स्थान केदारनाथ जी का शीतकालीन निवास होता है। यहां 6 महीने तक केदारनाथ जी की पूजा वैदिक रीति से होती है। बद्रीनाथ धाम का शीतकालीन गद्दीस्थल: जोशीमठ (पांडुकेश्वर) बद्रीनाथ का शीतकालीन गद्दीस्थल पांडुकेश्वर है। बद्रीनाथ धाम के कपाट शीतकाल के लिए बंद होते हैं, तब भगवान की मूर्ति को परंपरा के अनुसार जोशीमठ क्षेत्र के पांडुकेश्वर में ले जाया जाता है जहां पर शीतकालीन पूजा होती है। यह गद्दीस्थल बद्रीनाथ धाम का आधिकारिक शीतकालीन निवासस्थल है और इसी स्थान पर भगवान विष्णु की पूजा छह महीने तक शीतकाल में की जाती है। इसके अलावा जोशीमठ में स्थित नृसिंह मंदिर भी बद्रीनाथ के शीतकालीन गद्दी स्थल के रूप में महत्वपूर्ण है।


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