मऊ जिला कलेक्ट्रेट परिसर में उत्तर प्रदेश आशा वर्कर्स यूनियन की दर्जनों महिलाओं ने अपनी विभिन्न मांगों को लेकर प्रदर्शन किया। उन्होंने सिटी मजिस्ट्रेट के माध्यम से जिलाधिकारी को एक ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शनकारी आशा कार्यकर्ताओं ने बताया कि वे अपनी मांगों को लेकर लगातार प्रदर्शन कर रही हैं, लेकिन कोई उचित कार्रवाई नहीं हो रही है। आशा कार्यकर्ता उषा यादव ने कहा कि उनकी मुख्य मांग है कि उन्हें मिलने वाले छोटे-छोटे भुगतान को एक साथ दिया जाए। कार्यकर्ताओं ने आरोप लगाया कि सरकार उन पर एक के बाद एक नए काम थोप रही है, जबकि उनकी मांगे नहीं मानी जा रही हैं। उनकी प्रमुख मांग है कि उन्हें सरकारी कर्मचारी का दर्जा दिया जाए। आशा कार्यकर्ताओं ने चेतावनी दी कि यदि उनकी मांगें पूरी नहीं की जाती हैं, तो 15 दिसंबर तक उनकी हड़ताल जारी रहेगी। उन्होंने बताया कि उनकी हड़ताल शुरू हो चुकी है और यह तब तक चलेगी जब तक उनकी मांगे पूरी नहीं हो जातीं। उन्होंने यह भी मांग की कि सेवा के दौरान जान गंवाने वाली आशा कार्यकर्ताओं के आश्रितों को 20 लाख रुपये का मुआवजा दिया जाए और परिवार के एक सदस्य को सरकारी नौकरी प्रदान की जाए। अन्य मांगों में न्यूनतम वेतन, मातृत्व अवकाश और कार्यस्थलों पर सुरक्षा की गारंटी शामिल है। आशा कर्मियों को कर्मचारी भविष्यनिधि (ईपीएफ) और राज्य कर्मचारी बीमा निगम (ईएसआई) का सदस्य बनाया जाए। उन्होंने यह भी मांग की कि बिना पेंशन और ग्रेच्युटी के भुगतान के किसी भी आशाकर्मी को सेवा से निवृत्त न किया जाए। इसके अतिरिक्त, अशक्त हुई आशा कार्यकर्ताओं को 10,000 रुपये मासिक पेंशन दी जाए। यौन हिंसा रोकने के लिए जिला स्तर पर जेंडर सेंसटाइजेशन कमेटी अर्गेस्ट सेक्सुअल हैरेसमेंट (जीएस-कैश) का गठन करने की भी मांग की गई। सभी आशा कार्यकर्ताओं को 10 लाख रुपये का स्वास्थ्य बीमा और 50 लाख रुपये का जीवन बीमा कवर प्रदान करने की भी मांग रखी गई।
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